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'नीरज' प्यार करते थे और तकरार भी: संतोषानंद

बिजनौर: फिल्म शोर का एक प्यार का नगमा है मौजों की रवानी है जैसा मिलेनियम गीत लिखने एवं त

By JagranEdited By: Published: Wed, 29 Aug 2018 10:53 PM (IST)Updated: Wed, 29 Aug 2018 10:53 PM (IST)
'नीरज' प्यार करते थे और तकरार भी: संतोषानंद
'नीरज' प्यार करते थे और तकरार भी: संतोषानंद

बिजनौर: फिल्म शोर का एक प्यार का नगमा है मौजों की रवानी है जैसा मिलेनियम गीत लिखने एवं तीन बार फिल्मफेयर अवार्ड जीतने वाले कवि जिनके शब्द एक कलाकार की तरह थिरकते हैं। अल्फाज साज की तरह गूंजते है, भावनाओं के शब्दों में पिरोए गीत उन्हें दूसरे कवियों से अलग पहचान दिलाते हैं। पहले ही गीत पुरवा सुहानी आई रे से श्रोताओं के दिल पर राज करने वाले फिल्मी गीतकार संतोषानंद कहते हैं कि गोपाल दास नीरज उनसे बेहद प्यार तो करते ही थे उनसे खूब तकरार भी होती थी। आज उनके बिना मंच सूना-सूना लगता है।उनसे हुई बातचीत के अंश:

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सवाल: आपने पहला काव्य पाठ कहां किया?

जवाब: दिल्ली में नौकरी करते हुए मुझे कविता लिखने का शौक पैदा हुआ। मैं एक बार प्रसिद्ध कवि भवानी प्रसाद मिश्रा से मिला। उनके कहने से गोपाल प्रसाद व्यास से मिला। जिनके कहने पर ही मुझे लाल किले पर काव्यपाठ करने का अवसर मिला। मैंने जिसके बाजुओं में दम होता जग उसको गाता है, अपनी हिम्मत को उभारो अपनी ताकत को पुकारो अपनी किस्मत को संवारो, मेरे देश को बचा लो मेरे प्राण ले लो रे गाया जो बेहद पसंद किया गया। इसके बाद मुझे कवि सम्मेलनों में बुलाया जाने लगा।

सवाल: फिल्म निर्माता, निर्देशक एवं अभिनेता मनोज कुमार के संपर्क में कैसे आये?

जवाब: उन दिनों मनोज कुमार मेरा नाम जोकर फिल्म की शू¨टग के सिलसिले में दिल्ली आये थे। मेरे एक मित्र हरि भारद्वाज ने मनोज कुमार से मिलवाया था। मनोज कुमार के कहने पर मुंबई गया और पहली फिल्म पूरब पश्चिम का पुरवा सुहानी आई रे गीत लिखा।

सवाल: राजकपूर के साथ कैसे हुई शुरुआत?

जवाब: राजकपूर उनसे सत्यम शिवम सुंदरम में गीत लिखवाना चाहते थे। लेकिन वह इसके लिए तैयार नहीं थे। लेकिन बाद में प्रेम रोग के लिए गीत लिखे। इस फिल्म के ये प्यार था या कुछ और था गीत के लिए फिल्म फेयर पुरस्कार भी मिला।

सवाल: आपने मनोज कुमार और राजकपूर के साथ ही काम किया। किसी और फिल्म निर्माता के साथ क्यों नहीं?

जवाब: 70 व 80 के दशक में मनोज कुमार और उनका साथ फिल्म की सफलता की गारंटी बन गया था। बाद में राजकपूर के साथ काम किया। ताराचंद बड़जात्या भी अपनी फिल्म में गीत लिखवाना चाहते थे। लेकिन मैं मनोज कुमार और राजकपूर के बीच सैंडविच बन कर रह गया।

सवाल: आपकी सफलता का राज क्या है?

जवाब: मैं हमेशा मौलिक रचनाएं लिखता रहा, जो भोगा वही लिखा। 26 फिल्मों में 109 गीत लिखें। प्राय सभी हिट भी हुए। तीन बार फिल्मफेयर अवार्ड मिला। प्यार का नगमा मिलेनियम गीत बना।

सवाल: सुना था एक बार आप राजनीति में जाने के इच्छुक थे।

जवाब: नहीं अटल विहारी बाजपेयी और इंदिरा गांधी उन्हें राजनीति में लाना चाहते थे। लेकिन स्वार्थ और झूठ पसंद नहीं होने के कारण राजनीति से दूर ही रहा।

सवाल: गोपाल दास नीरज के साथ आपने कई बार मंच साझा किया है। उनके निधन के बाद कैसा महसूस करते है।

जवाब: वह मुझे प्यार करते थे। तकरार करते थे। मेरे गुरु भी रहे है। उनके बिना मंच अधूरा लगता है।

सवाल: अपने प्रशंसकों से क्या कहेंगे।

जवाब: तुम्हीं से प्यार करता हूं, तुम्हीं पर जान देने आया हूं, आखरी वक्त है मेरा इम्तिहान देने आया हूं।


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