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प्रकृति प्रेम ने बनाया पौधों का दानवीर, पांच साल में 20000 पौधे किये दान Bijnaur News

प्रकाश सिंह पांच साल में बीस हजार पौधे दान कर चुके हैं। प्रकृति के दोहन और बढ़ते ग्लोबल वार्मिग ने बनाया प्रेमी।

By Taruna TayalEdited By: Published: Sun, 12 Jan 2020 03:01 PM (IST)Updated: Sun, 12 Jan 2020 03:01 PM (IST)
प्रकृति प्रेम ने बनाया पौधों का दानवीर, पांच साल में 20000 पौधे किये दान Bijnaur News
प्रकृति प्रेम ने बनाया पौधों का दानवीर, पांच साल में 20000 पौधे किये दान Bijnaur News

बिजनौर, [सचिन शर्मा]। अभी तक आपने लोगों को धन, भोजन, कपड़े दान करते हुए देखा है। प्रकाश सिंह ऐसे दानवीर हैं, जिन्होंने जीवन पौधे दान करने में समर्पित कर दिया है। प्रकृति के दोहन और बढ़ते ग्लोबल वामिर्ंग से आहत होकर उन्होंने यह बीड़ा उठाया है। उनका मकसद चारों ओर हरियाली देखना है। यह जुनून इस कदर है कि पिछले पांच सालों में वह लगभग 20 हजार पौधे दान कर चुके हैं। उनकी यह मुहिम प्रकृति से खिलवाड़ करने वालों के लिए आईना है। अब कई लोग उनकी मुहिम का हिस्सा भी बन रहे हैं।

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यह है मामला

चांदपुर तहसील क्षेत्र के गांव ताजपुर निवासी प्रकाश सिंह कहने को तो इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद के व्यापारी हैं। लगातार प्रकृति के दोहन और बढ़ते ग्लोबल वामिर्ंग के कारण उनका प्रकृति प्रेम बढ़ गया। उन्होंने पौधों को दान कर जन-जन तक पहुंचाने व जागरूक करने का बीड़ा उठा लिया। करीब पांच वर्ष पूर्व दो हजार पौधे दान कर इस कार्यक्रम की शुरुआत की। सफलता ऐसी मिली कि आज वह पौधों के दानवीर कहलाने लगे। पिछले पांच वषों में वह लगभग 20 हजार पौधे दान कर चुके हैं। प्रकाश सिंह का कहना है कि प्रकृति पर्यावरण व मानव जीवन दोनों का ही आधार है, लेकिन बढ़ते प्रदूषण ने गहरी चोट पहुंचाई है। इसके घावों को भरने के लिए चारों ओर हरियाली होना आवश्यक है। यह तभी संभव है, जब अधिक से अधिक पौधारोपण होगा और लोग जागरूक होंगे।

जड़ी-बूटी दिवस पर औषधीय पौधे करते हैं दान

हर वर्ष चार अगस्त को जड़ी-बूटी दिवस मनाया जाता है। इस दिन प्रकाश सिंह एक विशेष कार्यक्रम के माध्यम से लोगों को हरियाली का पाठ पढ़ाने के साथ-साथ पौधे रूपी तोहफे भेंट करते हैं। खास बात यह है कि अधिकांश पौधे औषधीय होते हैं। उन्होंने बताया कि यह पौधे वातावरण को तो शुद्ध रखते ही हैं अन्य असाध्य बीमारियों को भी ठीक करते हैं। विभिन्न कार्यक्रमों में मंचासीन व अन्य अतिथियों को भी स्मृति चिन्ह के तौर पर पौधे भेंट करते हैं। 


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