अब पहनावे का हिस्सा होगा मास्क
कोरोना ने अनिश्चितता के बीच जीवन के नए तौर-तरीके सिखाए हैं। उनमें से एक है नाक और मुंह का मास्क से ढका होना। माना जा रहा है कि कोरोना से जंग जीतने के बाद भी मास्क पहनावे का एक हिस्सा बन जाएगा। ऐसे में कई स्वयंसेवी संस्थाएं कपड़े के मास्क बनाने में जुटी हैं।
बिजनौर जेएनएन। कोरोना ने अनिश्चितता के बीच जीवन के नए तौर-तरीके सिखाए हैं। उनमें से एक है नाक और मुंह का मास्क से ढका होना। माना जा रहा है कि कोरोना से जंग जीतने के बाद भी मास्क पहनावे का एक हिस्सा बन जाएगा। ऐसे में कई स्वयंसेवी संस्थाएं कपड़े के मास्क बनाने में जुटी हैं। इसके अलावा अन्य लोगों ने अपनी आजीविका से भी इसे जोड़ लिया है।
आम नागरिक की जरूरत को पूरी करने के लिए सखी वेलफेयर सोसाइटी कॉटन के आकर्षक मास्क बना रही हैं। महिलाओं द्वारा घर पर बनाए मास्क मंगवाकर आटोक्लेव और प्रेस कर सावधानी से पैक किए जा रहे हैं। अब बच्चों के लिए आकर्षक डिजाइन के मास्क भी बन रहे हैं। ताकि बच्चे भी मास्क की आदत डाल सकें। महिलाओं को भी जल्द डिजाइनर मास्क मिलेंगे। यह मास्क मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध कराने का लक्ष्य है। -यह बरतें सावधानी
संक्रमण से प्रभावित क्षेत्रों में जाने वाले स्वास्थ्यकर्मी, पुलिसकर्मी आदि के लिए तीन परत वाला एन-95 मास्क का इस्तेमाल बेहतर है। आम नागरिक के लिए कॉटन के अंदर सिल्क या वाइल की लाइनिग के साथ बनाए गए मास्क लेकर उनका इस्तेमाल करने से 95 प्रतिशत कोरोना संक्रमण से बचाव संभव है। रुमाल बार-बार फिसलता है। उसे बार-बार हाथों से ठीक करना उचित नहीं होता।
-डॉ राखी अग्रवाल, नजीबाबाद