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खेती को घाटे से उबारने के लिए कुछ नहीं

केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2020-21 का बजट पेश करते हुए किसानों के लिए कई घोषणाएं की। वित्त मंत्री की पेश बजट को किसान नेताओं ने हवाई घोषणा बताते हुए कहा कि यह किसानों के लिए खाली है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 01 Feb 2020 11:00 PM (IST)Updated: Sat, 01 Feb 2020 11:00 PM (IST)
खेती को घाटे से उबारने के लिए कुछ नहीं
खेती को घाटे से उबारने के लिए कुछ नहीं

बिजनौर, जेएनएन। केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2020-21 का बजट पेश करते हुए किसानों के लिए कई घोषणाएं की। वित्त मंत्री की पेश बजट को किसान नेताओं ने हवाई घोषणा बताते हुए कहा कि यह किसानों के लिए खाली है। किसानों का कहना है कि बजट में उन योजनाओं का भी जिक्र किया गया, जिसका पिछली बजट में शामिल थी। काफी योजनाएं वर्तमान में संचालित हैं। उनका कहना है कि बजट में खेती को घाटे के सौदे से उबारने के लिए काई ठोस कदम नहीं है। न ही आगे की कोई नीति है। सरकार आय दोगुना करने की बात जरूर कर रही है।

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बजट में किसान खाली हाथ हैं। बजट के भाषण में किसानों का जिक्र है, लेकिन खेती को घाटे से निकालने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है, जो योजनाओं की घोषणा की गई है, उनका का धरातल पर सही रूप से क्रियान्वयन किया जाए। वर्तमान में जो योजनाएं संचालित हैं, उनका किसानों को कितने प्रतिशत लाभ मिल रहा है। यह देखने लायक है। सरकार को चाहिए था कि किसान प्रधानमंत्री सम्मान योजना की किश्त छह से बढ़ाकर 18 हजार कर देनी चाहिए थी, ताकि किसानों को आर्थिक लाभ पहुंच सके।

-दिगंबर सिंह, युवा प्रदेशाध्यक्ष भाकियू। बजट ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेरा है। बजट में 20 लाख किसानों को सोलर पंप की सहायता दी जाने, कृषि को प्रतिस्पर्धात्मक बनाकर उन्नति लाने की बात की गई है, जबकि किसानों को जो चाहिए था उसका जिक्र नहीं है। किसानों को उनकी फसलों का उचित दाम व समय पर भुगतान के लिए कोई बात नहीं कही गई है। बजट से किसानों को कोई लाभ नहीं पहुंचेगा।

-राजेन्द्र सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष, आकियू

बजट से काफी उम्मीद थी, लेकिन बजट पेश होते ही किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर गया। बजट में सरकार किसानों की आय दोगुनी बढ़ाने की बात कर रही है, लेकिन किसानों को मजबूत करने के लिए कोई ठोस घोषणा नहीं की गई है। बजट में किसान खाली हाथ है। सोलर पंप की योजना पहले ही विभागों में संचालित है, लेकिन इसका फायदा कम ही किसानों को मिलता है।

-अशोक चौधरी, किसान नेता।


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