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चाय से नहीं काढ़ा से होगा मेहमानों का सत्कार

चांदपुर : यदि आप कहीं जाएं और मेहमान नवाजी के तौर पर आपको चाय की जगह गर्म काढ़ा मिले

By JagranEdited By: Published: Mon, 30 Oct 2017 09:17 PM (IST)Updated: Mon, 30 Oct 2017 09:17 PM (IST)
चाय से नहीं काढ़ा से होगा मेहमानों का सत्कार
चाय से नहीं काढ़ा से होगा मेहमानों का सत्कार

चांदपुर : यदि आप कहीं जाएं और मेहमान नवाजी के तौर पर आपको चाय की जगह गर्म काढ़ा मिले तो चौंकने की बात नहीं। क्योंकि राजा का ताजपुर क्षेत्र के कई गांवों में लोगों ने मेहमानों की आवभगत के साथ-साथ सेहत की सुरक्षा का पूरा इंतजाम किया है। दरअसल, क्षेत्र के गांवों में योगियों की टोली शिविरों के माध्यम से बढ़ती बीमारियों को रोकने के लिए जड़ी-बूटियों का विशेष काढ़ा तैयार कर बंटवा रही है। सेहत लाभ को देखते हुए गांवों के प्रबुद्ध लोगों ने उक्त काढ़े को मेहमान नवाजी में शामिल कर लिया है। उनका कहना है कि वह अपने घरों पर काढ़ा तैयार कर खुद तो सेवन करेंगे ही साथ ही मेहमानों का स्वागत भी उसी से करेंगे।

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शरीर में बढ़ती बीमारियों व कम होती रोग प्रतिरोधक क्षमता को लेकर योग गुरु निरंतर इसके उपाय तलाशने में लगे हैं। यही वजह है कि योग गुरु गांव-गांव योग व प्राकृतिक चिकित्सा के शिविर लगाकर लोगों को प्रकृति का रहस्य समझाने में लगे हैं। इन शिविरों के माध्यम से गांवों में जड़ी-बूटी युक्त पौधों के मिश्रण से विशेष प्रकार का काढ़ा तैयार कर लोगों को इसका सेवन कराया जाता है। ताकि, मौजूदा समय में बढ़ रही तरह-तरह की बीमारियों से लड़कर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जा सके। अब तक क्षेत्र के गांव राजा का ताजपुर, जमालपुर, मुस्सेपुर, मोरना, बुढ़नपुर समेत अन्य गांवों में योग शिविर संपन्न हो चुके हैं। जिनमें जड़ी-बूटी युक्त काढ़ा अपनी पहचान बना चुका है। अन्य गांवों में भी योग गुरुओं ने कार्यक्रम निर्धारित कर दिए हैं। खास बात यह है कि योग समिति से जुड़े लोगों ने स्वयं के साथ मेहमान नवाजी के तौर पर चाय की जगह इस काढ़े को अपनाने का निर्णय लिया है। ताकि, उनका स्वागत और सेहत दोनों को बेहतर रखा जाए। मा. कमल ¨सह, कैलाश चंद्र शर्मा, ऋषिराम ¨सह, विपिन कुमार, चंद्रप्रकाश, नागेश, राजकुमार, राजवीर त्यागी, वैद्य श्री राम ¨सह आदि ने बताया कि उनके गांवों में यह कार्यक्रम शुरू हो चुका है।

इन जड़ी-बूटियों से बनता काढ़ा

योगाचार्य गो¨वद महाराज, राजीव कुमार, देवव्रत महाराज व योग शिक्षक प्रकाश ¨सह ने बताया कि यह काढ़ा काला बांसा, गिलोय, अर्जुन की छाल, वटवृक्ष की छाल, नीम की छाल, पीपल छाल, हार श्रृंगार की छाल, द्रौण पुष्पी, सर्वकल्प, कायाकल्प, मुलहटी आदि से तैयार होता है। जिससे शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है तो डेंगू, मलेरिया व बुखार पास भी नहीं भटकेंगे।


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