उत्तर भारत की बेटियों के भाग्योदय में जुटी कल्पना
एक किसान की बेटी ने पांडुलिपी से डाक्ट्रेट की उपाधि लेकर न केवल जनपद बिजनौर का नाम रोशन किया बल्कि बेटियों में नैतिक चारित्रिक आध्यात्मिक गुणों के विकास के लिए उत्तर भारत में एक मिशन को गति देने में जुटी हैं। उत्तर भारत की हजारों बेटियों के भाग्योदय की कोशिश में जुटी नजीबाबाद की युवा बेटी डा. आचार्या कल्पना बेटियों को शस्त्र और शास्त्र विद्या में निपुण होने के लिए प्रेरित कर रही हैं।
बिजनौर, जेएनएन। एक किसान की बेटी ने पांडुलिपी से डाक्ट्रेट की उपाधि लेकर न केवल जनपद बिजनौर का नाम रोशन किया, बल्कि बेटियों में नैतिक, चारित्रिक, आध्यात्मिक गुणों के विकास के लिए उत्तर भारत में एक मिशन को गति देने में जुटी हैं। उत्तर भारत की हजारों बेटियों के भाग्योदय की कोशिश में जुटी नजीबाबाद की युवा बेटी डा. आचार्या कल्पना बेटियों को शस्त्र और शास्त्र विद्या में निपुण होने के लिए प्रेरित कर रही हैं।
नजीबाबाद के छोटे से गांव हैबतपुर निवासी किसान विक्रम सिंह आर्य एवं अन्य स्वजनों से विरासत में मिली संस्कारों की पूंजी से डा. आचार्या कल्पना ने अपना जीवन उज्ज्वल बनाया। वर्ष 1996 से 2011 तक गुरुकुल आर्ष कन्या विद्यापीठ में रहकर ज्ञान अर्जित किया। संस्कृत विषय से स्नातकोत्तर उत्तीर्ण करने वाली कल्पना ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पांडुलिपी में पीएचडी की। डा. आचार्या कल्पना कहती हैं कि निजी जीवन में सफलता हासिल करना कोई बड़ी बात नहीं, बड़ी बात तब है जब हमारे प्रयासों से कोई दूसरा सफलता के शिखर पर पहुंचे। मातृ शक्ति के उत्थान के लिए वर्ष 2013 से निष्काम सेवाओं में जुटीं डा. आचार्या कल्पना दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड समेत समूचे उत्तर भारत क्षेत्र में बेटियों को बौद्धिक, आध्यात्मिक रूप से मजबूत बनाने के मिशन में जुटी हैं। उनके साथ करीब 100 सदस्यों की टीम है, जो दो से सात घंटे की पाठशाला, आध्यात्मशाला, संस्कारशालाएं संचालित करती है। डा. कल्पना बताती हैं कि अब तक उनके संपर्क में करीब छह से सात हजार विभिन्न आयु वर्ग की बेटियां आ चुकी हैं। स्वरुचि रखने वाली बेटियों को वह शस्त्र एवं शास्त्र विद्या के लिए प्रशिक्षित कराती हैं।
डा. आचार्या कल्पना राष्ट्रीय स्तर की प्रखर वक्ता भी हैं। उच्चस्तरीय मंचों पर समां बांध देने वाली कल्पना कहती हैं-
समय आ गया महिलाओं, अब जागो देश जगाओ।
आज लाज भारत माता की खतरे में है बचाओ।।
जब जब भारत देश की नय्या बीच भंवर में चकराई।
तब तब तुमने चप्पू संभाला नांव किनारे ले आई।।
आज खेवय्या बनकर नय्या तुम उस पार लगाओ।।
सोते वतन को जगाना होगा, सीता सी खुद को बनाना होगा।
कहां तक सुनाएं हम आपकी कहानी को,
भूलेगा का अंग्रेज कैसे झांसी वाली रानी को।
जौहर वही फिर दिखाना होगा, सीता सी खुद को बनाना होगा।।