समीपुर अस्पताल को हर रोज 10 आक्सीजन सिलेंडर देंगे मुअज्जम खान
कौन कहता है आसमान में छेद हो नहीं सकता एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो..। गीत की इन पंक्तियों को एक बसपा नेता ने जीवंत कर डाला। जी हां बसपा नेता इंजीनियर मुअज्जम खान ने अस्पतालों में आक्सीजन की किल्लत को देखते हुए रोजाना 10 आक्सीजन सिलेंडर एल-2 अस्पताल समीपुर को देने का वादा किया है।
जेएनएन, बिजनौर। कौन कहता है आसमान में छेद हो नहीं सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो..। गीत की इन पंक्तियों को एक बसपा नेता ने जीवंत कर डाला। जी हां, बसपा नेता इंजीनियर मुअज्जम खान ने अस्पतालों में आक्सीजन की किल्लत को देखते हुए रोजाना 10 आक्सीजन सिलेंडर एल-2 अस्पताल समीपुर को देने का वादा किया है।
गुरुवार रात एल-2 अस्पताल समीपुर पर आक्सीजन खत्म हो जाने पर मुनीरगंज निवासी कोरोना पीड़ित महिला की उपचार के दौरान मौत हो गई। प्रभारी चिकित्सक डा. सर्वेश निराला ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने बताया कि आक्सीजन के लिए रात में ही उनकी औषधि निरीक्षक से फोन पर नोकझोंक भी हुई। डा.सर्वेश का कहना है कि आक्सीजन अथवा संसाधनों के अभाव के सामने वे अपनी आंखों के सामने मरीज को दम तोड़ता नहीं देख सकते।
वहीं, आक्सीजन की कमी से मरीजों की मौत ने बसपा नेता एवं समाजसेवी इंजीनियर मुअज्जम खान को झकझोरकर रख दिया। मुअज्जम खान ने अलविदा जुमे पर अस्पताल को हर रोज 10 आक्सीजन सिलेंडर देने का संकल्प लिया। उन्होंने अपने इस फैसले से एसडीएम परमानंद झा और डा. सर्वेश निराला को अवगत कराया, तो उन्होंने इस प्रयास की प्रशंसा की।
हल्दौर का आक्सीजन प्लांट शुरू, नजीबाबाद को नहीं मिला एलएमओ
जिले में आक्सीजन के दो प्लांट है। जहां से जिले भर को आक्सीजन की सप्लाई की जा रही है। नजीबाबाद स्थित प्लांट में पिछले करीब एक सप्ताह से एलओएम (लिक्विड आक्सीजन मटेरियल) नहीं मिल पा रहा है। जबकि हल्दौर स्थित प्लांट को शुक्रवार को एलओएम मिला है और आक्सीजन बननी शुरू हो गई है।
औषधि निरीक्षक आशुतोष मिश्रा ने बताया कि शुक्रवार को ही आक्सीजन के 63 सिलेंडर रिफिल होकर मुरादाबाद से आ रहे हैं। जिले के किसी भी सरकारी अस्पताल में आक्सीजन की कमी नहीं है। बड़ी संख्या में कोरोना पीड़ित घर पर ही आइसोलेट है अथवा नर्सिंग होम में उपचार करा रहे है को आवश्यकता पड़ने पर उन्हें आक्सीजन दी जा रही है।
जिला अस्पताल के सीएमएस डा. ज्ञान चंद का कहना है कि अस्पताल में आक्सीजन की कमी नहीं है। आवश्यकता नहीं होने पर भी कुछ तीमारदार जबरन मरीज को आक्सीजन लगाने की जिद करते है। कई तीमारदार तो स्टाफ के साथ अभद्र व्यवहार ही नहीं करते वरन तोड़फोड़ पर भी आमादा हो जाते है। तीमारदारों को चाहिए कि वह मरीज को सरकारी अस्पताल में भर्ती कराए। दवाएं एवं आक्सीजन उपलब्ध है।