गंगा के कछार से इस साल पलेज की बंपर पैदावार
ठेके पर जमीन लेकर लगाते हैं प्लेज हस्तिनापुर के सामने हजारों हेक्टेयर भूमि मेरठ जिले की गंगा के इस ओर आ रही हैं । मेरठ के किसान खेती करने के बजाय जमीन को इन लोगो को दे देते है। इस प्रकार दोनो मुनाफा कमाते है।
जलीलपुर : गंगा नदी के हजारों हेक्टेयर पठार में फैली तरबूज, ककड़ी, खीरा और खरबूजा पूरे देश में मिठास घोल रहा है। वहीं बार पठार में फालेज की बंपर पैदवार हुई। तरबूज देश के कोने-कोने में सप्लाई हो रहा है। हरिद्वार स्थित हर की पौडी के नीचे से गढमुक्तेश्वर की सीमा तक गंगा के दोनों के किनारे में सिघाड़िया परिवारों के हजारों सदस्य तरबूज, खरबूजा, ककड़ी, खीरा मौसमी फल, लौकी, तोरी, टिडा, भिन्डी एवं करेला आदि सब्जियों का उत्पादन करते हैं । इन परिवारों के लोग प्रत्येक साल अक्टूबर माह में गंगा के किनारे आकर बसने के साथ-साथ इन फसलों की बुवाई में जुट जाते है। जलीलपुर-हस्तिनापुर के मध्य गंगा नदी पर निर्माणधीन पुल के आस पास हजारों बीघा जमीन पर तरबूज की फसल लहलहा रही है। फालेज की खेती में लगे आलम, रियाजू, फुरकान, सोम्मू, शराफत, लियाकत, अहसान, जुल्फुकार, दानिश आदि का का कहना है कि इस बार पुल बनने से गंगा का क्षेत्रफल कम हुआ है। पानी की सुविधा होने की वजह से इस बार फालेज की बंपर पैदावार हुई है।
-तरबूज एवं खरबूजे की अधिक मांग
क्षेत्र में पैदा होने वाले तरबूज एवं खरबूजे की मेरठ, गजियाबाद, हापुड़, दिल्ली, पानीपत, कोटद्वार मंडी ने मांग के अनुरुप सप्लाई की जाती है। इस बार बंपर पैदवार होने के बावजूद आठ सौ एक हजार रुपये कुंतल की दर से मिल रहे है। इन सभी मंडियों में बिजनौर जिले के तरबूज की अधिक मांग है। अब तक एक लाख टन तक तरबूज विभिन्न मंडियों में सप्लाई किया जा चुका है।
-पुल के सहारे तरबूज की बिक्री
इस बार पुल निर्माण कार्य जोरो पर है। गंगा की धार कम होने के कारण नाव के सहारे प्रतिदिन हजारों लोगों की गंगा के उस पर आवाजाही बनी रहती है। इससे फालेज की खेती में लगे परिवारों की अतिरिक्त आमदनी बढ़ जाती हैं ।
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रोग न आने से बड़ी आमदनी
इस वार फसल में रोग न आने से जहा पैदवार बड गई हैं । वही साफ तरबूज होने के कारण रेट अच्छे मिल रहे है। गंगा में पानी न आने से इस बार बम्पर प्लेज हुई है।
ठेके पर जमीन लेकर लगाते हैं प्लेज
हस्तिनापुर के सामने हजारों हेक्टेयर भूमि मेरठ जिले की गंगा के इस ओर आ रही हैं । मेरठ के किसान खेती करने के बजाय जमीन को इन लोगो को दे देते है। इस प्रकार दोनो मुनाफा कमाते है।