इमाम हुसैन की याद में सोगवारों ने किया छुरियों से मातम
तमाम मातमी अंजुमने अंजुमन अब्बासिया पेदी सादात, अंजुमन शान हैदरी सिरधनी, अंजुमन जुल्फकारे हैदर ग्राम खोड़पुरा, अंजुमन सरकारे हुसैनी बरबारा एवं दायरातुल अजा भनेड़ा सादात आदि बुल्ला का चौराहा पहुंची नोहाख्वानी की गई।
बिजनौर : मोहर्रम की नौवीं तारीख गुरुवार को मोहल्ला काजीपाड़ा से इमाम हुसैन की याद में मातमी जुलूस निकाला गया। मातमी अंजुमनों ने नोहाख्वानी व सीनाजनी की। सोगवारों ने छुरियों से भी मातम किया।
मोहल्ला काजीपाड़ा निकाले गये मातमी जुलूस में शामिल सोगवार सीनाजनी करते हुए तय
मार्ग से होते हुए घंटाघर पहुंचे। उसके बाद तमाम मातमी अंजुमने अंजुमन अब्बासिया पेदी सादात, अंजुमन शान हैदरी सिरधनी, अंजुमन जुल्फकारे हैदर ग्राम खोड़पुरा, अंजुमन सरकारे हुसैनी बरबारा एवं दायरातुल अजा भनेड़ा सादात आदि बुल्ला का चौराहा पहुंची नोहाख्वानी की गई। इसके बाद सभी अंजुमने सचिव मोहम्मद अफरोज, रुहल हसनैन, मुजहिद हसन, नशकरुल हसनैन, तनवीर रजा, कमर अब्बास के संचालन में मोहल्ला बुखारा स्थित इमाम बाड़े पहुंची। जहां जुलूस का समापन हुआ। जुलूस में नोहाख्वानी मंजर हसन, लख्ते हसन, कामरान सलमान, जाफर अब्बास, बाकिर हसनैन महशर परवेज आदि ने की। इससे पूर्व गुरुवार को मरहूम अली अब्बास के आवास पर मजलिस बरपा की गई। मजलिस को मौलाना मुनव्वर अब्बास ने खिताब किया। उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन ने दुनिया को हक और बातिल में फर्क बताने के लिए कर्बला में अपने परिवार समेत कुर्बानी दी।
मजलिस में मौलाना मुनव्वर अब्बास ने कहा कि यजीद बातिल का हिमायती था। इसीलिए यजीद ने कर्बला में हुसैन के परिवार को पानी देना बंद कर दिया। ताकि इमाम हुसैन अपने परिवार समेत आत्मसमर्पण कर दें, मगर इमाम हुसैन ने बच्चों की प्यास और खुद की शहादत को मंजूर कर लिया, लेकिन यजीद के सामने आत्मसमर्पण नहीं किया और परिवार समेत शहीद हो गये।