भैरव बाबा का 'सोटा' मिटा रहा भोलों की थकान
चरनजीत ¨सह, नजीबाबाद : श्रावण मास में चहुंओर हर-हर महादेव, हर-हर, बम-बम की गूंज उठ
चरनजीत ¨सह, नजीबाबाद : श्रावण मास में चहुंओर हर-हर महादेव, हर-हर, बम-बम की गूंज उठ रही है। कांवड़ियों के लबों पर तो भोले भंडारी का नाम है, और मन में यह विश्वास है कि प्राचीन सिद्धपीठ मोटा महादेव मंदिर पर जलाभिषेक करने के बाद वह भैरव बाबा के मंदिर से जब सोटा अपनी कमर पर लगवाएंगे, तो उनकी थकान मिट जाएगी।
नजीबाबाद से चार किलोमीटर दूर हरिद्वार मार्ग पर प्राचीन स्वयंभू सिद्धपीठ मोटा महादेव मंदिर स्थित है। सदियों पुराने इस मंदिर की परंपरा है कि हरिद्वार से कांवड़ में गंगाजल लेकर आने वाले श्रद्धालु सबसे पहले यहां नतमस्तक होकर स्वयंभू शिव¨लग को जलाभिषेक करते हैं। इसके बाद ही वे कांवड़ लेकर गंतव्य की ओर अपनी राह पकड़ते हैं। भगवान भोलेनाथ के मंदिर से सटे भैरव बाबा के मंदिर की मान्यता भी कुछ कम नहीं है। भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करने के बाद कांवड़िए भैरव बाबा के मंदिर में माथा टेकने पहुंचते हैं। यहां मंदिर के पुजारी पंडित शशिनाथ के हाथों भैरव बाबा का सोटा अपनी कमर पर लगवाते हैं और कुछ ही पलों में अपनी समूची थकान से निजात पा जाते हैं।
मंदिर पर पहुंचने वाले कई कांवड़िए यहां न केवल जल चढ़ाने आते हैं, बल्कि मन्नतें भी मांगते हैं और मन्नत पूरी होने पर लंगर, दवा वितरण, विश्राम शिविर सहित विभिन्न रूपों शिवभक्तों की सेवा करते हैं। बरेली के गांव रसूलपुर फरीदपुर निवासी जानकी प्रसाद, छेदालाल, राधेश्याम, राजवीर, श्रीकृष्ण, अरुन गंगवार आदि शिवभक्तों का जत्था मोटा महादेव मंदिर पहुंचा। उनसे मंदिर के प्रति आस्था की बाबत पूछा तो उनका बस इतना ही कहना था कि वे भोले की आशीर्वाद को लफ्जों में बयां नहीं कर सकते। भैरव बाबा उनकी कठिन राह को आसान बना देते हैं।