यूपी में अवैध खनन, उत्तराखंड में भंडारण
सैय्या भये कोतवाल तो फिर डर काहे का यह कहावत यूपी और उत्तराखंड बार्डर पर चरितार्थ हो रही है। बार्डर पर पुलिस और वन विभाग की मिलीभगत से नजीबाबाद क्षेत्र में धड़ल्ले से अवैध खनन करने के बाद रेत-बजरी का भंडारण कोटद्वार किया जा रहा है।
बिजनौर, जेएनएन। सैय्या भये कोतवाल, तो फिर डर काहे का' यह कहावत यूपी और उत्तराखंड बार्डर पर चरितार्थ हो रही है। बार्डर पर पुलिस और वन विभाग की मिलीभगत से नजीबाबाद क्षेत्र में धड़ल्ले से अवैध खनन करने के बाद रेत-बजरी का भंडारण कोटद्वार किया जा रहा है।
भागूवाला और गैंड़ीखाता से जुड़े वाहन चालकों ने यह मुद्दा डीएम रमाकांत पांडेय को दिए ज्ञापन में उठाया। भागूवाला और गैंड़ीखाता से वाहनों का संचालित कर रहे विपिन राठी, फैजान, शाबान अहमद, अमन सैनी, ओमपाल, सहदेव, जसविदर सिंह आदि ने डीएम को दिए ज्ञापन में कहा है कि उत्तराखंड के हरिद्वार और कोटद्वार से खनन सामग्री (आरबीएम)का ढुलान भागूवाला में किया जा रहा है, लेकिन यूपी-उत्तराखंड बार्डर पर रेत-बजरी से लदे ओवरलोड वाहनों पर रोकथाम नहीं की जा रही है।
इन वाहन मालिकों का आरोप था कि पूर्व में उन्होंने क्षेत्र में दौड़ रहे रेत-बजरी से लदे ओवरलोड वाहनों की शिकायत दर्ज कराई थी, कितु पुलिस, वन और खनन विभाग के अधिकारियों ने उल्टे उनका ही उत्पीड़न करना शुरू कर दिया। उनका कहना था कि बार्डर पर पुलिस और वन विभाग की मिलीभगत से नजीबाबाद क्षेत्र में ट्रैक्टर-ट्रालयों से अवैध खनन करने के बाद रेत-बजरी का कोटद्वार में भंडारण किया जा रहा है, शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की जाती।
दरअसल, जिले के मूल (वर्तमान पता गैरजनपद)निवासी एक अधिकारी की तैनाती है, जिस वजह से कई क्षेत्र में अवैध खनन चल रहा है। माफिया कई स्थानों पर रात्रि में खनन करते हैं। डीएम ने जांच के बाद आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई का भरोसा दिलाया।