सीएमओ कार्यालय में दिव्यांगों की दुर्दशा
बिजनौर में दिव्यांगों की बेहद दुर्दशा है। हाथ पैर से अपाहिज इन लोगों के बैठने के न तो कुर्सी है और न ही कोई बेंच।
बिजनौर : कोई पैर से दिव्यांग है तो कोई नेत्रहीन। कोई बिना सहारे के खड़ा भी नहीं हो पाता तो किसी को रिक्शा में लिटाकर लाया जाता है। इतनी मुसीबतें झेलकर प्रमाण पत्र बनवाने आने वाले दिव्यांगों को सीएमओ कार्यालय में बैठने तक की भी जगह नहीं मिलती। प्रत्येक सोमवार को दिव्यांग कार्यालय में मारे-मारे घूमते हैं लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं होता।
शासन ने विकलांग प्रमाण पत्र बनवाने के लिए सोमवार का दिन निर्धारित कर रखा है। इन दिनों पुराने प्रमाण पत्रों को भी आनलाइन करने का काम चल रहा है। इसके चलते सीएमओ कार्यालय में बड़ी संख्या में दिव्यांग पहुंचते हैं। एक ही खिड़की पर प्रमाण पत्रों का काम होने के चलते यहां दिन भर मारामारी मची रहती है। दिव्यांग गिरते-पड़ते अपनी बारी का इंतजार करते रहते हैं। हालत यह है कि यहां दिव्यांगों को लाने-लेजाने के लिए व्हील चेयर तो दूर उनके बैठने और पानी पीने तक की व्यवस्था नहीं होती। सोमवार को भी यही हाल रहा। दिव्यांग दिन भर परेशान घूमते रहे। भारी भीड़ में उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं था। उधर सीएमओ डा. राकेश मित्तल का कहना है कि पूरे प्रदेश में विकलांग प्रमाण पत्र बनाने के लिए केवल सोमवार का ही दिन निर्धारित है। इसलिए ज्यादा भीड़ हो जाती है।