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ग्रहण के दौरान किया ईश्वर का स्मरण

साल का अंतिम सूर्य ग्रहण गुरुवार को पड़ा । पौष अमावस्या को पड़ने वाले सूर्य ग्रहण से पूर्व सूतक लगने के कारण बुधवार रात से ही मंदिरों के पट बंद कर दिए गए। गुरुवार को सूर्य ग्रहण के दौरान श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की। दान दिया एवं ग्रहण की समाप्ति के बाद गंगा स्नान किया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 26 Dec 2019 10:12 PM (IST)Updated: Thu, 26 Dec 2019 10:12 PM (IST)
ग्रहण के दौरान किया ईश्वर का स्मरण
ग्रहण के दौरान किया ईश्वर का स्मरण

बिजनौर, जेएनएन। साल का अंतिम सूर्य ग्रहण गुरुवार को पड़ा । पौष अमावस्या को पड़ने वाले सूर्य ग्रहण से पूर्व सूतक लगने के कारण बुधवार रात से ही मंदिरों के पट बंद कर दिए गए। गुरुवार को सूर्य ग्रहण के दौरान श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की। दान दिया एवं ग्रहण की समाप्ति के बाद गंगा स्नान किया।

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ग्रहण सुबह आठ बजकर 19 मिनट से शुरू होकर 10 बजकर 56 मिनट तक चला। ग्रहण का सूतक काल 25 दिसंबर को रात आठ बजे से प्रारंभ होने के कारण सभी मंदिरों के पट बुधवार रात आठ बजे से पहले ही बंद कर दिए गए। ग्रहण समाप्त होने के बाद ही मंदिर के पट खोले गए। सूतक काल लगने के बाद किसी भी प्रकार की पूजा-अर्चना वर्जित होने के कारण लोगों ने ईश्वर के नाम का ही स्मरण किया। ईश्वर की स्तुति की। गरीबों को अन्न एवं वस्त्र दान दिए। गुरुवार को अत्यधिक सर्दी होने के बावजूद गंगा बैराज घाट पर श्रद्धालुओं की भीड़ रही। नगर ही नहीं आसपास ग्रामीण क्षेत्र के श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किया। बैराज गंगा घाट पर गुरुवार को मेले जैसा दृश्य रहा।


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