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महात्मा विदुर की कुटिया तक नहीं पहुंची 'मां गंगा'

बिजनौरकभी महात्मा विदुर की कुटिया के करीब कल-कल बहने वाला मां गंगा का जल धीरे-धीरे दूर होता गया। तीन दशक से यह स्थिति बनती गई। भाजपा सरकार ने नमामि गंगे योजना में गंगा की धारा को अविरल व निर्मल करने में अरबों रुपये खर्च कर दिए लेकिन गंगा की धारा को विदुर की कुटिया तक लाने का कोई भगीरथ प्रयास नहीं हुआ। सांसद का आश्वासन भी कोरा साबित हुआ।

By JagranEdited By: Published: Tue, 05 Mar 2019 10:52 PM (IST)Updated: Tue, 05 Mar 2019 10:52 PM (IST)
महात्मा विदुर की कुटिया तक नहीं पहुंची 'मां गंगा'
महात्मा विदुर की कुटिया तक नहीं पहुंची 'मां गंगा'

बिजनौर:कभी महात्मा विदुर की कुटिया के करीब कल-कल बहने वाला मां गंगा का जल धीरे-धीरे दूर होता गया। तीन दशक से यह स्थिति बनती गई। भाजपा सरकार ने नमामि गंगे योजना में गंगा की धारा को अविरल व निर्मल करने में अरबों रुपये खर्च कर दिए, लेकिन गंगा की धारा को विदुर की कुटिया तक लाने का कोई भगीरथ प्रयास नहीं हुआ। सांसद का आश्वासन भी कोरा साबित हुआ।

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80 के दशक में मध्यगंगा बैराज निर्माण के बाद गंगा की मुख्य धारा महात्मा विदुर की कुटिया से करीब चार किलोमीटर पश्चिम में चली गई थी, जबकि इससे पहले बरसात के मौसम में जुलाई से अक्टूबर तक गंगा की धारा विदुर की कुटिया से होकर बहती थी। वहीं, कार्तिक गंगा स्नान मेले के दौरान जिला पंचायत को गंगा नदी के बाहे पर पुल का निर्माण करना पड़ता था, कितु अब स्थिति पूरी तरह बदल गई है। वर्ष 2000 से गंगा की धारा यहां से दूर होती चली गई। ग्रामीणों की माने, तो वर्तमान में गंगा की मुख्य धार विदुर कुटी से करीब साढ़े चार किलोमीटर दूर बह रही है।

महाभारत सर्किट में शामिल, फिर भी नहीं हुए प्रयास

तत्कालीन सपा-रालोद सरकार के पर्यटन मंत्री नवाब कोकब हमीद ने विदुर कुटी को महाभारत सर्किट में शामिल करने के साथ मुख्य द्वार समेत, सड़क के दोनों ओर बेंच व कई अन्य विकास कार्य कराए थे। कितु इस दौरान किसी भी अधिकारी अथवा जनप्रतिनिधि ने यह प्रयास करना मुनासिब नहीं समझा कि गंगा को महात्मा विदुर की कुटिया तक लाया जाए। वहीं, सांसद भारतेंद्र सिंह ने आश्वासन दिया था कि गंगा का जल समीप लाया जाएगा, ताकि कार्तिक गंगा स्नान के मौके पर श्रद्धालुओं को सुविधा हो सके, लेकिन अभी तक यह पहल भी साकार नहीं हुई। इन्होंने कहा..

तत्कालीन सिंचाई मंत्री अनुराधा चौधरी ने बैराज पर स्थित श्मशान घाट से विदुर कुटी के लिए एक रजवाहा निकालने के लिए छह करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया था, कितु रजवाहे के रास्ते में पड़ी भूमि सिचाई विभाग को नहीं मिलने की वजह से योजना अधर में लटक गई।

-स्वामी ओमवेश, पूर्व गन्ना राज्यमंत्री। सिंचाई विभाग के अधूरे पड़े रजवाहों, नहरों को पूरा करने के लिए कार्ययोजना तैयार कर मंजूरी के लिए शासन को भेजी गई है। मंजूरी मिलने के बाद अधूरे रजवाहों और नहरों का निर्माण पूरा करा दिया जाएगा।

-एके वर्मा, अधीक्षण अभियंता पूर्वी गंग नहर।


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