सामाजिक वानिकी क्षेत्र में कोरोना फैलने से वनकर्मी चितित
सामाजिक वानिकी से जुड़े क्षेत्र में कोरोना संक्रमण फैलने के बाद कर्मचारियों की चुनौतियां और भी बढ़ गई हैं। कोरोना संक्रमण और अन्य कारणों से कुछ वनकर्मियों की मौत के बाद दहशत बनी हुई है। काफी विस्तृत क्षेत्र में कांबिग कर वन्य जीवों और वन संपदा की सुरक्षा का भार सामाजिक वानिकी के सीमित वनकर्मियों के कंधों पर है।
जेएनएन, बिजनौर। सामाजिक वानिकी से जुड़े क्षेत्र में कोरोना संक्रमण फैलने के बाद कर्मचारियों की चुनौतियां और भी बढ़ गई हैं। कोरोना संक्रमण और अन्य कारणों से कुछ वनकर्मियों की मौत के बाद दहशत बनी हुई है। काफी विस्तृत क्षेत्र में कांबिग कर वन्य जीवों और वन संपदा की सुरक्षा का भार सामाजिक वानिकी के सीमित वनकर्मियों के कंधों पर है।
सामाजिक वानिकी नजीबाबाद क्षेत्र में पांच सेक्शन हैं। नजीबाबाद, किरतपुर, साहनपुर, नांगल और चंदक क्षेत्र के लिए सामाजिक वानिकी के पास मात्र तीन वन दारोगा और दो वन रक्षक ही हैं। पिछले दो वर्षों में जंगल से सटे गांवों में गुलदार का आतंक बढ़ा है। इनमें काफी बड़ा क्षेत्र सामाजिक वानिकी का भी शामिल है। कई लोग गुलदार के हमलों के शिकार भी हुए हैं। अब गुलदार की दहशत के साथ साथ कस्बों और गांवों में कोरोना महामारी का भी भय बना हुआ है। नजीबाबाद और इससे सटे साहनपुर एवं किरतपुर में ही कोरोना के कई पीड़ित हैं। इन जगहों पर कई मौतें भी हो चुकी हैं। नांगल, चंदक क्षेत्र भी इससे अछूते नहीं हैं। भीषण गर्मी के बीच भोजन-पानी की तलाश में कई वन्य जीवन भटककर आबादी के आसपास पहुंच रहे हैं। हालांकि सामाजिक वानिकी के अधिकारियों का कहना है कि वन्य जीवों में कोरोना संक्रमण फैलने की संभावना कम है और अब तक ऐसा कोई मामला भी संज्ञान में नहीं आया है, लेकिन खतरा बना हुआ है। हाल ही में सामाजिक वानिकी वन दारोगा सुरेशचंद की कोरोना से संक्रमित होने के कारण मौत हो चुकी है। इससे पहले श्याम सिंह की भी मृत्यु हो चुकी है। इनका कहना है
महामारी के दौर में भी सीमित कर्मचारी और सीमित संसाधन होने के बावजूद दायित्व निर्वाह करने में जुटे हैं। सामाजिक वानिकी क्षेत्र के गांवों में कोरोना के मामले बढ़ने से हमारी भी चिताएं बढ़ी हुई हैं। हर कदम फूंक-फूंककर रख रहे हैं। चीफ कंजरवेटर, डीएफओ समेत उच्चाधिकारी निरंतर संपर्क बनाए हुए हैं।
-अरविद श्रीवास्तव, वन क्षेत्राधिकारी सामाजिक वानिकी नजीबाबाद
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चरनजीत सिंह