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गंगा तट पर पितरों को किया दीपदान

बिजनौरजेएनएन। विदुरकुटी गंगा घाट पर कार्तिक पूर्णिमा से एक दिन पहले सोमवार को दिन छिपते ही हजारों श्रृद्धालुओं ने स्नान करके गंगा तट पर अपने-अपने पितरों के लिए परंपरागत ढंग से दीपदान किया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 11 Nov 2019 11:10 PM (IST)Updated: Tue, 12 Nov 2019 06:22 AM (IST)
गंगा तट पर पितरों को किया दीपदान
गंगा तट पर पितरों को किया दीपदान

गंगा तट पर पितरों को किया दीपदान

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बिजनौर,जेएनएन। विदुरकुटी गंगा घाट पर कार्तिक पूर्णिमा से एक दिन पहले सोमवार को दिन छिपते ही हजारों श्रृद्धालुओं ने स्नान करके गंगा तट पर अपने-अपने पितरों के लिए परंपरागत ढंग से दीपदान किया। वहीं मेले में श्रृद्धालुओं की बढ़ती भीड़ को देखते हुए पुलिस ने मेला और गंगा नदी में गश्त तेज कर दी। बुजुर्गों की माने, तो कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर मंगलवार को सूर्योदय से पहले नवजात शिशुओं का मुंडन संस्कार और नवविवाहिताओं के गौर पूजने का सिलसिला शुरू हो जाएगा।

विदुरकुटी घाट पर लगे कार्तिक गंगा स्नान मेले में सोमवार की सात सात बजे तक करीब तीन लाख श्रृद्धालु मुख्य स्नान के लिए ट्रैक्टर-ट्रालियों, भैंसा-बुग्गियों के जरिए पहुंच चुके थे, जबकि श्रद्धालुओं के मेले में पहुंचने का सिलसिला जारी रहा। दिन-छिपते ही हजारों श्रद्धालुओं ने बिजनौर बैराज और विदुरकुटी गंगा घाट पर स्नान और पूजा-अर्चना करके पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए दीपदान किया। दीपदान के बाद श्रद्धालुओं ने मेले में लगे झूलों पर झूले और चाट-पकौड़ी का लुत्फ उठाया। मेले में श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए पुलिस ने मेला और नदी क्षेत्र में गश्त तेज कर दी। -स्नान के बाद शुरू होगी वापसी

कार्तिक पूर्णिमा पर मंगलवार को सूर्योदय से मुख्य स्नान शुरू होते ही श्रद्धालुओं को लौटने का सिलसिला शुरू हो जाएगा। शाम चार बजे तक अधिकांश श्रृद्धालुओं की वापसी हो जाएगी। मेले में सिर्फ दुकानदार और सरकारी टेंटों में अफसरान रह जाएंगे। वापसी में जाम से निजात दिलाने को पुलिस और प्रशासन ने पुख्ता बंदोबस्त बंदोबस्त कर लिए है। -अब नहीं लगते राजनीतिक दलों के शिविर

कई दशक पहले गंगा स्नान मेले में रालोद, भाजपा, भाकियू समेत कई अन्य राजनैतिक दलों, किसानों को खेती की नई जानकारी देने के लिए शिविर लगाए जाते थे। वहीं सांस्कतिक गतिविधियों के लिए कलाकार रागनियां, आल्हा-ऊदल, महाभारत, रामायण और महाभारत की कहानियां ग्रामीणों को सुनाते थे, लेकिन इस बार मेला क्षेत्र में आर्य समाज और दो अन्न क्षेत्र शिविर लगे हुए हैं।

(संबंधित खबरें पेज सात पर)


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