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आधुनिकता के दौर में भोजन से गायब हुआ मोटा अनाज

मौसम में परिवर्तन आते ही मक्का की रोटी और चने के स्वाद याद आने लगता है। दशकों पहले भोजन में चना मक्का बाजरा लोबिया सोयाबीन जई ज्वार आदि मोटे अनाजों का प्रयोग होता था। मक्का ही नहीं चना बाजरा स्वाद के साथ ही शरीर के लिए बेहद फायदेमंद हैं ये अनाज स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं लेकिन लोगों का रुझान फास्ट फूड़ की तरफ होने से मोटा अनाज रसोई से गायब होने लगा है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 09:51 PM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 09:51 PM (IST)
आधुनिकता के दौर में भोजन से गायब हुआ मोटा अनाज
आधुनिकता के दौर में भोजन से गायब हुआ मोटा अनाज

बिजनौर जेएनएन। मौसम में परिवर्तन आते ही मक्का की रोटी और चने के स्वाद याद आने लगता है। दशकों पहले भोजन में चना, मक्का, बाजरा, लोबिया, सोयाबीन, जई, ज्वार आदि मोटे अनाजों का प्रयोग होता था। मक्का ही नहीं चना, बाजरा स्वाद के साथ ही शरीर के लिए बेहद फायदेमंद हैं, ये अनाज स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं, लेकिन लोगों का रुझान फास्ट फूड़ की तरफ होने से मोटा अनाज रसोई से गायब होने लगा है।

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दशकों पहले हर घर के भोजन में मोटे अनाज का इस्तेमाल हुआ करता था। रोजाना खाने में चना, मक्का, बाजारा, लोबिया, सोयाबीन, जई, ज्वार आदि का प्रयोग किया जाता था, जो सेहत के लिए बेहद मुफीद होता था। समय के बदलाव के साथ ही लोगों की खानपान की रूचि भी बदलने लगी। लोगों का रुझान फा‌र्स्ट फूड़ की तरफ हो गया। इस कारण रसोई से मोटा अनाज गायब होने लगा। रसोई से मोटा अनाज गायब हुआ तो खेती में भी बदलाव हुआ है। पहले जिले भर में चना, मटर, दाल, मूंग, बाजरा, ज्वार, मक्का आदि की बहुतायत में खेती होती थी, जबकि गेहूं व चावल कम मात्रा में पैदा किया जाता था। यहीं कारण था कि दशकों पहले हर घर में भोजन में मोटा अनाज का इस्तेमाल किया जाता था। तकनीकी व वैज्ञानिक तरीके से खेती में आए बदलाव के साथ फसलों का चक्र भी बदल गया। जिले में गन्ना फसल के अतिरिक्त केवल गेहूं व धान की खेती ही की जा रही है। कृषि विभाग के रिकार्ड पर नजर डालें तो चला, मटर, मक्का, ज्वार आदि मोटा अनाज वाली फसलों का रकबा सिकुड़ता जा रहा है। वर्तमान में खाने में गेहूं, चावल का ही सबसे ज्यादा प्रयोग किया जा रहा है। जबकि युवा पीढ़ी का रुझान फा‌र्स्ट फूड़ की ओर बढ़ रहा है। इन खानों में पोषक तत्व नहीं होने से शरीर कमजोर होने से लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो रही है। पहले माताएं बच्चों को चना, मक्का, स्वार, बाजरा आदि की रोटियां खिलाती थीं। वह जानती थी कि मोटे अनाज से बच्चों को पौष्टिक तत्व मिलेंगे। बच्चे हष्टपुष्ट एवं निरोगी रहेंगे। मोटे अनाज में प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, लोहा, विटामिन और अन्य खनिज पदार्थ चावल और गेहूं की अपेक्षा दोगुनी मात्रा में पाए जाते हैं। मोटे अनाज को नियमित रूप से खाने में प्रयोग किया जाना चाहिए। यह स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी है।

-डा. राहुल विश्नोई, एमडी फिजिशियन।


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