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बच्चों ने दहन किया लंकापति रावण का पुतला

नजीबाबाद विजय दशमी पर्व पर बच्चों द्वारा लंकापति रावण का बनाया पुतला आकर्षक का केंद्र रहा। बुराई पर अछाई की जीत का जश्न मनाते हुए बच्चों ने रावण के पुतले को जलाया। बच्चों द्वारा श्रीराम के जयकारों से वातावरण गूंज उठा।

By JagranEdited By: Published: Sun, 25 Oct 2020 07:21 PM (IST)Updated: Sun, 25 Oct 2020 07:21 PM (IST)
बच्चों ने दहन किया लंकापति रावण का पुतला
बच्चों ने दहन किया लंकापति रावण का पुतला

बिजनौर, जेएनएन। नजीबाबाद: विजय दशमी पर्व पर बच्चों द्वारा लंकापति रावण का बनाया पुतला आकर्षक का केंद्र रहा। बुराई पर अछाई की जीत का जश्न मनाते हुए बच्चों ने रावण के पुतले को जलाया। बच्चों द्वारा श्रीराम के जयकारों से वातावरण गूंज उठा।

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विजय दशमी पर्व पर नगर के कई मोहल्ले और कालोनी मे बच्चों ने लंकापति रावण के आकर्षक पुतले बनाए। कौशल्या विहार कालोनी में विशाल, यश, प्रखर, आन्या, सत्यम, शिवम, सार्थक, भोलू, अंश, रौनक ने मिलकर रावण का पुतला बनाया। मोहल्ला संतोमालन में खुशी, सुर्पणा, अनिष्ठा, राधिका, मोनू, निकुंज, अक्षत आदि ने रावण का पुतला बनाया। न्यू लक्ष्मी नगर कालोनी में मयंक राठी, तनिष्का सिंह, परी, नैना, प्रीत, अभय, प्रताप, कुंज, साहिल, सिद्धांत ने मिलकर रावण का पुतला बनाया। बच्चों ने श्रीराम के जयकारों के साथ बुराई का प्रतीक रावण के पुतले का दहन किया। बच्चों के श्री राम के जयकारों से वातावरण गूंज उठा।

-बढ़ापुर में फूंका गया रावण का पुतला

बढ़ापुर: कस्बे में विजय दशमी पर्व धूमधाम से मनाया गया, लेकिन कोरोना काल के चलते मेले का आयोजन नहीं किया गया। रविवार सुबह से ही मेले का मैदान सूना पड़ा था। कुछ दुकान लगाने वाले मैदान पर पहुंचे, जिन्हें वापस भेज दिया गया। इस दौरान मेला कमेटी कार्यकर्ता व पुलिसकर्मी मेला मैदान में मौजूद रहे। उन्होंने किसी भी प्रकार की कोई दुकान नही लगने दी। मेले में हर वर्ष रावण व मेघनाद के पुतले का दहन किया जाता था, लेकिन इस बार कोरोना काल को देखते हुए औपचारिक रूप से केवल रावण के पुतले का ही दहन किया गया। -नांगल क्षेत्र में मायूस रहे रामभक्त

नांगलसोती: शिवपुराण में वर्णित ग्राम नांगलसोती में इस बार दशहरा पर्व पर पारंपरिक मेले का आयोजन नहीं किया गया। मेला न लगने से राम भक्तों में खासी मायूसी देखी गई। नांगलसोती में रामलीला मंचन के साथ ही दशहरा मेला की तैयारी की जाती थी। रावण, कुंभकरण, मेघनाथ के पुतले भी दहन किए जाते थे। नांगल, जीतपुर, शहजादपुर, खानपुर आदि के श्रद्धालु मेला स्थल पर पहुंचते थे। इस बार पहली बार नांगलसोती में मेला नहीं लगा। जिससे राम भक्तों में मायूसी दिखी।


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