आडिट टीम ने खंगाला फर्मों के भुगतान का रिकार्ड
बिजनौर, जेएनएन। लखनऊ से आई आडिट टीम ने स्वास्थ्य विभाग में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के बजट से वर्ष 2019-20 एवं 2020-21 में आठ फर्मों को किए गए करीब सात करोड़ रुपये के भुगतान का आडिट किया। आडिट में इन फर्मो पर करीब 80 लाख रुपये की जीएसटी शुल्क जमा करने में गड़बड़ी किए जाने का संदेह है। दो दिन की जांच के बाद आडिट टीम भुगतान संबंधी रिकार्ड अपने साथ ले गई।
जनपद में वर्ष 2021 में एनएचएम में हुई खरीदारी के बिलों के भुगतान का आडिट डीएम की अध्यक्षता में गठित टीम ने किया था। इसमें सामने आया कि लक्की इंटरप्राइजेज को दो करोड़ 24 लाख 40 हजार का भुगतान टुकड़ों में किया जाना पाया गया, लेकिन इस राशि पर निर्धारित जीएसटी शुल्क को समयावधि के भीतर फर्म ने जमा नहीं कराया। यह मामला सुर्खियों में आने के बाद शासन ने इस रिपोर्ट को महानिदेशालय लखनऊ को भेजा, ताकि जीएसटी की स्थिति स्पष्ट हो सके। शुक्रवार को महानिदेशालय लखनऊ से सीनियर आडिटर सुरेंद्र सिंह के नेतृत्व में गठित दो सदस्यीय टीम सीएमओ कार्यालय पहुंची और दो दिन तक वर्ष 2019-20 व 2020-21 में आठ फर्मों को हुए करीब सात करोड़, 25 लाख 28 हजार 726 रुपये के भुगतान संबंधी अभिलेखों की जांच की।
सीनियर आडिटर सुरेन्द्र सिंह के अनुसार उन्होंने सरस्वती प्रेस, गणपति एंटरप्राइजेज, लक्ष्मी एंटरप्राइजेज, यदुवंशी कंसल्टेंसी, साहिब एन्टरप्राइजेज, मोनू केटरर्स व पुनीत टूरिस्ट ढाबा समेत फर्मों को किए भुगतान संबंधी बिल एवं अभिलेखों की जांच की है। नियमानुसार इन फर्मों द्वारा विभाग से जो भुगतान प्राप्त किया गया है उसमें जीएसटी की राशि भी शामिल थी लेकिन उन्होंने जीएसटी की राशि को सरकारी खाते में जमा नहीं कराया है। सीएमओ कार्यालय से तो जीएसटी जमा किए जाने का उल्लेख मिल रहा है, लेकिन इन फर्मों द्वारा लिए गए भुगतान पर जीएसटी चुकाने का साक्ष्य नहीं मिला है। आडिट ने इन फर्म स्वामियों से भी जीएसटी जमा करने के साक्ष्य मांगे है, ताकि भुगतान की धनराशि का मिलान किया जा सके। शनिवार को आडिट टीम सभी संबंधित अभिलेखों की छायाप्रति लखनऊ ले गई। उन्होंने बताया कि रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी।