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बिजनौर में बहेगी, लेकिन नहीं होगा फसलों का कंठ गीला

मध्य गंगा बिजनौर बैराज से निकली नहर के पानी से भले ही एक इंच फसल सिचित ना हो कितु यह नहर जिस गांव से निकलेगी उस गांव के भूगर्भ जलस्तर में वृद्धि जरूर होगी। वहीं नहर निर्माण के लिए अधिगृहित की भूमि की कीमत भी चार गुनी दी गई है। जरूर व

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Feb 2020 11:20 PM (IST)Updated: Wed, 19 Feb 2020 06:09 AM (IST)
बिजनौर में बहेगी, लेकिन नहीं होगा फसलों का कंठ गीला
बिजनौर में बहेगी, लेकिन नहीं होगा फसलों का कंठ गीला

बिजनौर, जेएनएन। मध्य गंगा बैराज से निकली फेज-2 नहर बिजनौर जनपद में 40 किलोमीटर बहेगी, कितु जिले की एक इंच भूमि सिचित नहीं होगी। इस नहर के पानी फायदा अमरोहा, संभल और बहजोई के किसानों को मिलेगा। इस बार के बजट में इस नहर से 1.40 लाख किसानों के फायदे की बात कही गई है।

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बिजनौर मध्य गंगा बैराज से बदायूं तक चार हजार करोड़ रुपये की लागत से वित्तीय वर्ष 2009-2010 में बैराज के बाएं हिस्से में फेज-टू नहर का निर्माण शुरू हुआ था। बिजनौर से बैराज से निकली फेज-2 नहर सलेमपुर मथना, जलालपुर काजी, विदुरकुटी और हीमपुर क्षेत्र के कई गांवों से होते हुए धनौरा तक (40 किलोमीटर) गई है। इस नहर की खुदाई काफी गहराई से हुई है। यह नहर बिजनौर जनपद में बहेगी तो जरूर खुदाई, लेकिन इस नहर के पानी से जनपद की एक इंच भूमि चिन्हित नहीं होगी। सिचाई विभाग के अफसरों की मानें तो बिजनौर से निकाली गई मुख्य नहर की लंबाई 66 किलोमीटर है, इसमें 40 किलोमीटर लंबी नहर बिजनौर जनपद में है। धनौरा में मुख्य कैनाल से चंदौसी और बहजोई ब्रांच नहर, रजवाहे माइनर एवं छोटी नहरें निकली जाएगी।

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संभल, चंदौसी, अमरोहा

की भूमि होगी सिचित

मध्य गंगा बिजनौर बैराज से निकली नहर के पानी से जनपद अमरोहा और संभल की कृषि भूमि की सिचाई होगी। बिजनौर जनपद में नहर का निर्माण जून 2020 में पूरा होना है, लेकिन अभी तक सलेमपुर मथना में पिछले साल 10 साल से नहर निर्माण रुका हुआ। मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद अब इस क्षेत्र में नहर निर्माण शुरू होने की उम्मीद जगी। इस नहर निर्माण के बाद संभल, चंदौसी और अमरोहा के 1.40 लाख किसानों की फसलें सिचित होगी।

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जनपद में बढ़ेगा भूगर्भ जलस्तर

मध्य गंगा बिजनौर बैराज से निकली नहर के पानी से भले ही एक इंच फसल सिचित ना हो, कितु यह नहर जिस गांव से निकलेगी, उस गांव के भूगर्भ जलस्तर में वृद्धि जरूर होगी। वहीं नहर निर्माण के लिए अधिगृहित की भूमि की कीमत भी चार गुनी दी गई है। जरूर व

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जल्द मंजूरी मिलने की उम्मीद

वन आरक्षित क्षेत्र में नहर निर्माण को किसानों से भूमि खरीदे जाने के बाद उसका दाखिल खारिज सिचाई विभाग के नाम हो चुका है, कितु निर्माण कार्य के दौरान वन विभाग की ओर से कराई रिपोर्ट की वजह सात किलोमीटर नहर का निर्माण रुका हुआ है। अब मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद जल्द रुके नहर निर्माण की मंजूरी मिलने की उम्मीद है।

-पीसी गौतम, अधिशासी अभियंता, सिचाई खंड-सात/जिला नोडल अधिकारी।


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