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बिजनौर के नूरपुर में काम न आया भाजपा के दिग्गजों का दम-खम

बिजनौर के नूरपुर विधानसभा के उपचुनाव में जीतने के लिए हाईकमान ने भगवा ब्रिगेड के साथ प्रदेश के तमाम दिग्गज चुनावी रण में उतार दिए थे, लेकिन भाजपा को शिकस्त का सामना करना पड़ा।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Fri, 01 Jun 2018 05:05 PM (IST)Updated: Fri, 01 Jun 2018 05:13 PM (IST)
बिजनौर के नूरपुर में काम न आया भाजपा के दिग्गजों का दम-खम
बिजनौर के नूरपुर में काम न आया भाजपा के दिग्गजों का दम-खम

बिजनौर [शिवानंद राय]। लोकसभा चुनाव के सेमीफाइनल कहे जाने वाले प्रदेश में बिजनौर के नूरपुर विधानसभा के उपचुनाव में सहानुभूति की नैया भी भाजपा को पार नहीं लगा पाई। इस चुनाव को जीतने के लिए हाईकमान ने भगवा ब्रिगेड के साथ प्रदेश के तमाम दिग्गज चुनावी रण में उतार दिए थे, लेकिन भाजपा को शिकस्त का सामना करना पड़ा। 

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भाजपा ने प्रदेश के पंचायती राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार चौधरी भूपेंद्र सिंह को चुनावी कमान सौंपी थी। भाजपा के लिए यह उपचुनाव कितना अहम था इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की सभा कराई गई। इससे इतर भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन रामलाल, राष्ट्रीय सहा महामंत्री संगठन शिवप्रकाश, प्रदेश संगठन महामंत्री सुनील बसंल, प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय, प्रभारी व ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा, मंत्री गुलाबो देवी, मंत्री उपेंद्र तिवारी, मंत्री गिरीश चंद यादव, चेतन चौहान, बलदेव सिंह ओलख, सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह सहित सांसद, विधायक व संगठन के पदाधिकारियों की हजारों की फौज लगाई गई। हर बूथ पर 21 सदस्यीय कमेटी के साथ ही संगठन के जिला स्तरीय नेताओं को भी लगाया गया। मंत्रियों व सत्ताधारी दल के नेताओं ने सत्ता का भी कम इस्तेमाल नहीं किया। पंचायती राजमंत्री के चुनाव प्रभारी होने के कारण सभी ग्राम प्रधानों व सचिवों पर पूरे चुनाव के दरम्यान तलवार लटकी रही।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि पंचायती राज्यमंत्री का प्रधानों पर अप्रत्यक्ष दबाव का दांव भारी पड़ गया। वहीं दूसरी तरफ सपा प्रत्याशी के पक्ष में राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की जनसभा तक नहीं कराई गई। सिर्फ सपा के चार एमएलसी आनंद भदौरिया, शशांक यादव, परवेज अली, उदयवीर सिंह को एक-एक जोन की कमान सौंपी गई थी। इसके अलावा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम के निर्देशन में पूर्व मंत्रियों, विधायकों व पदाधिकारियों को लगाया गया था।  

चुनाव से दूरी बनाए रहे श्रीकांत शर्मा

प्रभारी मंत्री होने के बावजूद ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा नूरपुर उपचुनाव से दूर रहे। वह पूरे चुनाव में मात्र एक दिन कुछ घंटों के लिए डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के कार्यक्रम में आए थे, जबकि सीएम योगी आदित्यनाथ के कार्यक्रम में नहीं आए। प्रभारी मंत्री का पूरे चुनाव में मात्र एक दिन आना भाजपा कार्यकर्ताओं को खटकता रहा।

भारी पड़ गई कार्यकर्ताओं की उपेक्षा

नूरपुर उपचुनाव में कार्यकर्ताओं की उपेक्षा भारी पड़ गई। दरअसल, प्रदेश सरकार के प्रवक्ता व ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा को जिले का प्रभारी मंत्री बनाया गया है। पार्टी कार्यकर्ताओं के मुताबिक, प्रभारी मंत्री कार्यकर्ताओं को तरजीह नहीं देते हैं। कार्यकर्ताओं की एक भी बात नहीं सुनी जाती है। यहीं वजह है कि पिछले दिनों पहुंचे श्रीकांत शर्मा के बैठक में चंद कार्यकर्ता व पदाधिकारी ही पहुंचे। कार्यकर्ताओं में अंदरखाने ऊर्जा मंत्री को लेकर असंतोष है। कार्यकर्ताओं का कहना है सरकार होने के बावजू प्रभारी मंत्री वह अपनी समस्या तक नहीं रख पाते हैं।


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