कफ बनाने वाले पदार्थो के सेवन से बचें
एक काफी पुरानी कहावत है- ठंडा खाइए तत्ता नहाइए वैध पूछण न जाइए। गर्म भोजन के बदले कुछ ठंडा होने पर खाएं। गर्म पानी से स्नान करें तो वैद्य से कुछ पूछने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वरिष्ठ चिकित्सक डा. नरेंद्र पाल सिंह संधू ने यह बात कही।
जेएनएन, बिजनौर। नजीबाबाद: एक काफी पुरानी कहावत है- ठंडा खाइए, तत्ता नहाइए, वैध पूछण न जाइए। गर्म भोजन के बदले कुछ ठंडा होने पर खाएं। गर्म पानी से स्नान करें तो वैद्य से कुछ पूछने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वरिष्ठ चिकित्सक डा. नरेंद्र पाल सिंह संधू ने यह बात कही।
मथुरापुरमोर निवासी डा. नरेंद्र पाल कहते हैं कि कोरोना का फिर से ग्राफ बढ़ना कुछ और नहीं, मौसम में परिवर्तन के दौरान आमजन द्वारा बरती गई लापरवाही का नतीजा है। अब जो हालात हैं उसमें घरेलू आयुर्वेदिक उपचार के रूप में जोशांदा का काढ़ा बनाकर पीना फायदेमंद है। इसमें गिलोय, पपीते के कोमल पत्ते, अदरक का रस भी मिलाकर ले सकते हैं। आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर से सुहागा लाकर उसे तवे पर मुलेठी, काली मग, काली मिर्च के साथ चूर्ण बनाकर लेने से फेफड़ों में बलगम नहीं जमेगा और जमा बलगम निकल जाएगा। इससे सांस अच्छा आएगा।
आयुर्वेद के अनुसार सफेद रंग की चीजों दूध, दही, लस्सी, चावल का सेवन न करें। यह चीजें कफ बनाती हैं। दूध को तुलसी, हल्दी, अदरक, काली मिर्च का मिश्रण बनाकर पीएं। गर्म पानी से नहाएंगे, तो संक्रमण की आशंका कम होगी। जिस तरह घी-तेल के बर्तनों को सादे पानी से मांझने में दिक्कत होती है और गर्म पानी से एकदम साफ हो जाते हैं, वही स्थिति हमारे शरीर की भी है। भोजन लेने के तुरंत बाद पानी न पीएं। आधे घंटे के बाद गुनगुना पानी पीएं। कई विकार ऐसे ही समाप्त हो जाएंगे। इसके अलावा कोरोना संक्रमण से बचने के लिए अभी भी लोगों को सतर्कता बरतने की जरूरत है।