उपेक्षा से आहत सरकारी चिकित्सक करेंगे आंदोलन
बिजनौर में मांगें पूरी नहीं होने से चिकित्सकों में रोष पनप रहा है। 24 सितंबर से वे आंदोलन करेंगे।
बिजनौर : उपेक्षा से आहत सरकारी चिकित्सकों में रोष पनप रहा है। वर्षों से लंबित मांगों को पूरा कराने के लिए उन्होंने प्रो¨वसियल मेडिकल सर्विस एसोसिएशन के बैनर तले आंदोलन करने की चेतावनी दी है। इसके तहत 24 सितंबर को जिला स्तर पर ज्ञापन दिए जाएंगे और एक अक्टूबर को काली पट्टी बांधकर काम करेंगे।
सोमवार को जिला चिकित्सालय में पत्रकारों से वार्ता करते हुए पीएमएस के जोनल सेक्रेट्री डा. प्रवीण शर्मा ने बताया कि सातवें वेतन आयोग के क्रम में मूल वेतन का 35 प्रतिशत प्रैक्टिस बंदी भत्ता नहीं दिया जा रहा है। चिकित्सकों की प्रोन्नति लंबित हैं, विशेषज्ञ चिकित्सकों विशेषज्ञता के सापेक्ष वेतन एवं भत्ते नहीं मिल रहे। 25 प्रतिशत ग्रामीण भत्ता, पोस्टमार्टम भत्ता समेत अनेक मांगें वर्षों से लंबित हैं। सुविधाओं के अभाव में सरकारी चिकित्सकों को मनोबल टूट रहा है। उन्होंने बताया कि एक अक्टूबर के बाद भी केंद्रीय कार्यसमिति की बैठक होगी। अगली रणनीति इस बैठक में बनाई जाएगी। जिलाध्यक्ष डा. रजनीश शर्मा ने बताया कि संविदा चिकित्सकों को दो से ढाई लाख रुपये वेतन दिया जा रहा है जबकि सरकारी चिकित्सकों को 60 से 70 हजार रुपये मिल रहे हैं। वेतन में असमानता और सुविधाओं के अभाव की वजह से भी चिकित्सक सरकारी सेवा में नहीं आ रहे हैं। उन्होंने सरकारी अस्पतालों को पीपीपी पर देने का विरोध करते हुए कहा कि यदि देना ही है तो उन अस्पतालों को दें जो सही नहीं चल रहे हैं। ताकि इस मोड पर देने से होने वाले सुधार का तो पता लगे। बाल रोग विशेषज्ञ डा. केके ¨सह ने कहा कि सरकारी चिकित्सा की अनदेखी भविष्य के लिए घातक सिद्ध होगी। प्रवक्ता डा. कपिल चौधरी ने कहा कि उपेक्षा से सरकारी चिकित्सकों में नकारात्मकता की भावना बढ़ रही है। इसे दूर करने की आवश्यकता है। इस मौके पर सीएमएस डा. सुखवीर ¨सह, सचिव राजीव रस्तौगी समेत अन्य चिकित्सक मौजूद रहे।