Move to Jagran APP

नशा तस्करों के आगे नतमस्तक प्रशासन

नशे के सौदागरों का जाल पूरे जिले में फैला हुआ है। जिले में बरेली समेत नेपाल और अन्य जिलों से गांजा अफीम डोडा सुल्फा और चरस आता है। इसके अलावा पंजाब हरियाणा उत्तराखंड और दिल्ली से शराब की तस्करी की जाती है। नशे की चपेट में किशोर से लेकर बुजुर्ग तक हैं। तस्करों के जाल के सामने सिस्टम भी नतमस्तक है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 Oct 2021 11:03 PM (IST)Updated: Tue, 26 Oct 2021 11:03 PM (IST)
नशा तस्करों के आगे नतमस्तक प्रशासन
नशा तस्करों के आगे नतमस्तक प्रशासन

जेएनएन, बिजनौर। नशे के सौदागरों का जाल पूरे जिले में फैला हुआ है। जिले में बरेली समेत नेपाल और अन्य जिलों से गांजा, अफीम, डोडा, सुल्फा और चरस आता है। इसके अलावा पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और दिल्ली से शराब की तस्करी की जाती है। नशे की चपेट में किशोर से लेकर बुजुर्ग तक हैं। तस्करों के जाल के सामने सिस्टम भी नतमस्तक है। काफी कोशिश के बाद पुलिस सरगना तक नहीं पहुंच पाती है। बरेली से एक तस्कर नशा खरीदकर लाता है। उसकी नेपाल हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड समेत पूर्वांचल में अलग-अलग टीम है। वह नशे को इन सभी में सप्लाई करता है। वह कोड वर्ड में बात करके बताता है कि उसने अपना काम कर दिया है। इसके बाद सप्लायर के खाते में पैसा डाल दिया जाता है। नशे के आदी लोगों को पता होता है कि किस स्थान पर नशा मिलना है। मेडिकल स्टोर तक इनकी पैठ होती है, जहां नशीली गोलियां और इंजेक्शन मिलते हैं। ---------

loksabha election banner

नशा एक सामाजिक विकृति

शराब से लेकर अन्य मादक पदार्थो का नशा एक सामाजिक विकृति है। फिजिशियन डा. राहुल विश्नोई बताते हैं कि नशे से शरीर में कई बीमारियों आ जाती हैं। इंसान समाज से कट जाता है। मानसिक रूप से शिथिल हो जाता है। नशे का आदी अक्सर आत्महत्या की ओर बढ़ता है। चूंकि मानसिक रूप से वह काफी कमजोर होता है। काउंसलिग, इच्छाशक्ति और परिजनों की निगरानी से नशे को काफी हद तक छुड़ाया जा सकता है। जिला अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डा. राधेश्याम वर्मा कहते हैं कि नशा छुड़ाने के लिए मानसिक रूप से मजबूत होना आवश्यक है। अच्छी संगत में उठना-बैठना चाहिए। परिवार के नजदीक रहना चाहिए।

----- नशा मुक्ति आश्रम में भी होती है कोशिश

देहरादून की जीवन रक्षक नशा मुक्ति आश्रम की एक शाखा चक्कर चौराहे पर स्थित है। यहां नशे के आदी लोगों को रखा जाता है। तमाम प्रयास से नशा छुड़ाया जाता है। आश्रम के संचालक सिद्धांत मलिक ने बताया कि यह शाखा 20 साल से चल रही है। इस वक्त इसमें 30 मरीज हैं, इनमें 20 शराब के हैं। इसके अलावा स्मैक, नशे की गोलियां और सुल्फा के नशे से ग्रस्त हैं। यहां पर छह माह के लिए मरीज को रखा जाता है। नशा छुड़ाने के लिए मुख्य रूप से यह काउंसलिग को महत्व देते हैं। देहरादून और अन्य जगहों से आने वाले काउंसलर क्लास लेते हैं। इन्हें समय-समय से मोटिवेशनल किया जाता है। उन्हें नशे के दुरुपयोग और नुकसान के बारे में जानकारी दी जाती है। वहीं नशे के आदी व्यक्ति की रिकवरी के लिए दवाई भी दी जाती है। उनका कहना है कि 20 साल में हजारों लोगों को इसका लाभ मिल चुका है। हालांकि नशा मुक्ति आश्रम में मरीज से इस सुविधा के लिए फीस भी वसूली जाती है। ---------------- नशे से बीमारी के लक्षण:

1. शरीर की शिथिलता

2. गुर्दे की बीमारी

3. लीवर की बीमारी

4. मानसिक रूप से कमजोर

5. आत्महत्या की ओर बढ़ना

6. अधिक सेवन से शरीर में कंपन

7. खून की कमी और भूख नहीं लगना

--------------- 2021 में पुलिस की कार्रवाई

93 मुकदमा दर्ज

93 आरोपित गिरफ्तार

12 लाख रुपये का नशे का सामान बरामद -------------

नशे से जुड़े लोगों पर सख्त कार्रवाई की जा रही है। गैंगस्टर समेत अन्य कार्रवाई गई है। शराब माफिया की सम्पत्ति जब्त की गई है। नशे के खिलाफ फिर से अभियान चलाया जाएगा। तस्करों की कमर तोड़ी जाएगी। लोगों से भी अपील है कि इससे दूर रहें। नशा शरीर और मानसिक रुप से इंसान को खत्म कर देता है।

-डा. धर्मवीर सिंह, एसपी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.