रोजगार व उच्च शिक्षा के लिए हो अच्छी पहल
चांदपुर(बिजनौर): एक फरवरी यानि शुक्रवार आज आम बजट आने वाला है। व्यापारी, नौकरपेशा से लेकर उद्योगपति तो इससे आस लगाए बैठे ही हैं, लेकिन छात्र-छात्राओं व युवा वर्ग भी उनके भविष्य के लिए नई योजनाएं व कुछ न कुछ नया मिलने की की उम्ममीद है।
चांदपुर(बिजनौर): एक फरवरी यानि शुक्रवार आज आम बजट आने वाला है। व्यापारी, नौकरपेशा से लेकर उद्योगपति तो इससे आस लगाए बैठे ही हैं, लेकिन छात्र-छात्राओं व युवा वर्ग भी उनके भविष्य के लिए नई योजनाएं व कुछ न कुछ नया मिलने की की उम्मीद है। युवाओं के लिए रोजगार, छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा के लिए कालेज व खेल प्रतिभाओं के लिए स्टेडियम यहां की जरूरतों शामिल रहे हैं। यहीं नहीं उनके अभिभावक भी सरकार के बजट से भारी आशाएं लगाए हुए हैं। अब देखना है
कि सरकार उनकी उम्मीदों पर कितना खरा उतरती है।
विवेकानंद कालेज दरबाड़ा की बीटीसी की छात्रा मेघा शर्मा का कहना है कि चांदपुर शिक्षा के क्षेत्र में अभी काफी पीछे है। छात्राओं के लिए आज तक कोई सरकारी कालेज तक नहीं है। जो यहां की छात्राओं के लिए दुर्भाग्य है। सरकार को इस ओर ध्यान देकर छात्राओं के लिए उच्च शिक्षा से संबंधित कालेज बनाना चाहिए। जिससे उन्हें इसका लाभ मिल सके और यहां की छात्राएं भी अपना भविष्य बना सकें। गुलाब ¨सह कालेज की छात्रा व साफ्ट बाल व नेटबाल खिलाड़ी काजल कहती है कि क्षेत्र के पिछड़ेपन के चलते महिलाएं खिलाड़ी की प्रतिभा घर की चार दीवारी में ही कैद होकर रह जाती है। सरकार से उम्मीद है कि खेल प्रतिभाओं के लिए अलग से बजट की व्यवस्था होगी। देहात क्षेत्र में मिनी स्टेडियम व कोच उपलब्ध कराने पर विशेष ध्यान होना चाहिए। जिले के साथ-साथ तहसील स्तर पर स्पोर्टस कालेज बनवाया जाए। कक्षा 12 के छात्र निशांत कुमार का कहना है कि प्राइवेट शिक्षण संस्थानों में फीस व अन्य व्यवस्थाओं के नाम पर छात्र-छात्राओं का शोषण हो रहा है। सरकार ऐसी योजना शामिल करे कि एडमिशन के नाम पर होने वाले आर्थिक शोषण पर रोक लग सके। एजूकेशन लोन आसानी से उपलब्ध कराने की व्यवस्था होनी चाहिए। छात्राओं के भविष्य के लेकर नई योजनाएं लाई जाएं। क्षेत्र में छात्राओं को लेकर सरकारी कालेज बनाया जाए, जिससे उन्हें शिक्षा प्राप्त करने में आसानी हो सकेगी। तकनीकि शिक्षा को लेकर भी नई-नई सुविधाएं दी जाएं। आईटी के क्षेत्र में भी रोजगार के लिए बढ़ावा मिले। युवा प्रशांत कुमार का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर उठाने के लिए विशेष व्यवस्था लागू होनी चाहिए। गरीब व निर्धन बच्चों की पढ़ाई लिए विशेष पैकेज दिया जाए। प्राइमरी शिक्षा का स्तर केंद्रीय विद्यालय की तर्ज होना चाहिए। सरकारी स्कूलों का स्तर उठाने के लिए प्रयास हों। छात्र व छात्रा आवासों के लिए जगह-जगह व्यवस्था की जाए। अंग्रेजी माध्यम के बीच ¨हदी माध्यम के स्कूलों को बढ़ावा दिया जाए।