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Bijnor Rape Case: 57 साल के दुष्कर्मी को 87 दिन की सुनवाई में 25 साल की सजा, आठ वर्षीय बालिका से किया था दुष्कर्म

आठ साल की बच्ची से दुष्कर्म के मामले में केस का 40 दिन तक ट्रायल चला। 25 जुलाई को पहली तारीख लगी और टायल शुरू हुआ। केस में तत्कालीन विवेचक समेत 11 गवाही हुई। पुलिस के मजबूत एविडेंस सजा के आधार बने। सात जून को घटना हुई। 18 दिन बाद तत्कालीन विवेचक योगेश कुमार ने आरोपित बिजेंद्र के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। 25 जुलाई को पहली तारीख लगी।

By Jagran News Edited By: Abhishek Saxena Updated: Thu, 05 Sep 2024 12:49 PM (IST)
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किरतपुर पुलिस की गिरफ्त में बच्ची से दुष्कर्म का आरोपित। जागरण आकाईव

संवाद सहयोगी जागरण, बिजनौर। किरतपुर थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी 87 दिन पहले 57 वर्षीय अधेड़ ने गांव की ही एक आठ वर्षीय बालिका के साथ दुष्कर्म किया था। इस मामले में पोक्सो एक्ट की विशेष अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कल्पना पांडेय में आरोपित बिजेंद्र को दोषी पाते हुए 25 वर्ष का कठोर कारावास और 60 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। न्यायाधीश ने जुर्माने की राशि में से आधी धनराशि पीड़िता को प्रतिकर के तौर पर देने के आदेश दिए हैं ।

विशेष लोक अभियोजन अधिकारी भालेंद्र कुमार राठौर के अनुसार किरतपुर थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी व्यक्ति ने थाना किरतपुर में दर्ज कराई रिपोर्ट में लिखा कि उसकी आठ वर्षीय धेवती चार-पांच दिन की छुट्टियों में उनके घर आई थी। वह वंचित वर्ग से है। सात जून 2024 को वादी की धेवती गांव में स्थित एक नलकूप के पास खेल रही थी। इस दौरान अपराह्न तीन बजे के करीब गांव के आरोपित बिजेंद्र उसकी धेवती को जबरन ईख के खेत में ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया।

बच्ची को गंभीर हालत में अस्पताल में कराया था भर्ती

बच्ची ने शोर मचाया तो आरोपित बच्ची को खेत पर छोड़कर भाग गया। गंभीर हालत में खून से लथपथ पीड़िता को अस्पताल में भर्ती कराया गया और आरोपित के खिलाफ थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। घटना के बाद काफी हंगामा भी हुआ था। पुलिस ने आरोपित को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

60 हजार का जुर्माना भी लगाया

मामले में न्यायाधीश कल्पना पांडेय ने आरोपित बिजेंद्र को दोषी पाते हुए 25 वर्ष का कठोर कारावास और 60 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। एएसपी देहात रामअर्ज ने बताया कि पुलिस द्वारा केस की मजबूती से पैरवी की गई थी। साक्ष्य जुटाए थे। जिसके चलते दोषी को जल्द से जल्द सजा दिलाई गई।

25 जुलाई को पोक्सो कोर्ट में लगी थी पहली तारीख 

पोक्सो एक्ट की विशेष अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की कोर्ट में ट्रायल शुरू हुआ। इसके में वादी, पीड़िता, विवेचक, सीओ, डाक्टर समेत 11 गवाही आरोपित के खिलाफ हुई। 23 साक्ष्य केस में एकत्र किए गए। मात्र 24 तारीखें केस के टायल के दौरान लगी। 40 दिन के टायल में चार सितंबर को आरोपित को सजा सुनाई गई।

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दस दिन तक मेरठ के अस्पताल में भर्ती रही थी बालिका

डीएनए जांच रिपोर्ट बनी अहम साक्ष्य पुलिस ने केस की मजबूत विवेचना की। तमात साक्ष्य जुटाए। केस को मजबूत करने के लिए आरोपित का डीएनए सैंपल लिया गया। सैंपल डीएनए का मिलान हो गया। यही सबसे बड़ा आधार बना। जिसके आधार पर जल्द से जल्द आरोपित को सजा हुई। घटना इतनी भीभत्स थी कि दस दिन तक बच्ची मेरठ के एक अस्पताल में भर्ती रही। उसकी हालत नाजुक बनी रही।

बच्ची से दुष्कर्म का जघन्य अपराध था। केस की गंभीरता को देखते ही लगातार मानिटरिंग सेल पैरवी कर रहा था। तेजी से गवाही कराई गई। मजबूत साक्ष्य कोर्ट में पेश किए गए। रामअर्ज, एएसपी देहात व नोडल मानिटरिंग सेल