कौन बोल रहा झूठ, चौकीदार या एएसपी
स्वाधीन तिवारी, ज्ञानपुर (भदोही) ---------------------- गांवों की सुरक्षा में तैनात ग्राम्य पुलि
स्वाधीन तिवारी, ज्ञानपुर (भदोही)
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गांवों की सुरक्षा में तैनात ग्राम्य पुलिस चौकीदारों के मानदेय का मामला सवालों में घिर गया है। एक ओर जहां पुलिस अधिकारी मानदेय भुगतान का दावा कर रहे हैं तो दूसरी ओर चौकीदार मानदेय भुगतान को लेकर हर माह की पांच तारीख को आंदोलनरत रहते हैं। सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 के अधीन हुए राजफाश में वर्ष 2015 से अब तक साइकिल और टार्च मरम्मत के लिए 19 लाख सात हजार 520 रुपये का भुगतान किया गया है। वहीं पुलिस चौकीदार संघ द्वारा बीते पांच जनवरी को भी विगत कई सालों से लंबित साइकिल मरम्मत सहित अन्य धनराशि भुगतान को लेकर कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया गया।
दरअसल, ग्राम्य पुलिस चौकीदारों को सुरक्षा के लिए गांवों में भ्रमण के लिए साइकिल मरम्मत के नाम पर निर्धारित धनराशि प्रत्येक माह भुगतान किए जाने का प्रावधान है। आंदोलनरत चौकीदारों का आरोप है कि बीते कई वर्षों से साइकिल मरम्मत की धनराशि का भुगतान नहीं किया जा रहा है। जिसको लेकर चौकीदार प्रत्येक माह की पांच तारीख को कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर अपनी मांग करते हैं। इसकी सच्चाई की पड़ताल के लिए जब सूचना का अधिकार के तहत पुलिस अधीक्षक कार्यालय से जानकारी मांगी गई तो जवाब चौंकाने वाला मिला। पुलिस अधीक्षक के जन सूचना अधिकारी की ओर से तीन दिसंबर को उपलब्ध कराए गए पत्र के अनुसार ग्राम पुलिस चौकीदारों को प्रत्येक माह 1320 रुपये की दर से साइकिल मरम्मत और टार्च के लिए 19 लाख सात हजार 520 रुपये भुगतान किया जा चुका है। अब सवाल यह उठता है कि झूठ कौन बोल रहा है चौकीदार या पुलिस अधिकारी। फिलहाल सच्चाई जो भी हो पुलिस विभाग की ओर से उपलब्ध कराई गई सूचना से चौकीदारों को साइकिल मरम्मत के मद में भुगतान की गई धनराशि का दावा चौकीदारों के चल रहे आंदोलन से अनसुलझी पहेली बन चुकी है। उदासीनता से बढ़ी चोरी की वारदातें
तस्वीर चाहे जो भी हो, लेकिन एक बात तो तय है कि ग्राम्य चौकीदारों की लंबित समस्याओं का असर उनकी कार्यशैली पर भी पड़ रहा है, तभी तो बीते वर्ष में जनपद के नौ पुलिस थाना में पंजीकृत चोरी की वारदातों पर गौर करें तो ये संख्या 106 है। यहां एक बात और उल्लेखनीय है कि यह संख्या उनक प्रकरणों की है जो पुलिस रिकार्ड में पंजीकृत हैं, नहीं तो जगजाहिर सच्चाई है कि ये आंकड़ा कहीं अधिक है, क्योंकि अधिकतर मामलों में तो पुलिस द्वारा प्राथमिकी दर्ज तक नहीं की जाती है। वर्ष 2018 के आंकड़ों पर एक नजर
थाना संख्या
ज्ञानपुर 9
सुरियावां 23
ऊंज 4
दुर्गागंज 3
भदोही 21
कोइरौना 3
औराई 20
गोपीगंज 15
चौरी 8।