जहां हो अपमान, वहां न रखें कदम
क्षेत्र के धनीपुर गाँव मे चल रहे साप्ताहिकश्री मद् भागवत कथा के तीसरे दिन कथा सुनाते हुए कथा वाचक विनोद माधव जी महराज ने बताया कि किसी भी स्थान पर बिना निमंत्रण जाने से पहले इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि जहां आप जा रहे है वहां आपका, अपने इष्ट या अपने गुरु का अपमान हो। यदि ऐसा होने की आशंका हो तो उस स्थान पर जाना नहीं चाहिए। चाहे वह स्थान अपने जन्म दाता पिता का ही घर क्यों हो। कथा के दौरान सती चरित्र के
जागरण संवाददाता, ऊंज (भदोही) : किसी भी स्थान पर बगैर निमंत्रण जाने से पहले इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि वहां आप, आपके ईष्ट-मित्रों अथवा गुरु का अपमान न हो। यदि ऐसा होने की आशंका हो तो उस स्थान पर जाना नहीं चाहिए। चाहे वह स्थान अपने जन्मदाता यानी पिता का ही घर क्यों न हो।
क्षेत्र के धनीपुर गांव में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन गुरुवार को कथा सुनाते हुए कथा वाचक विनोद माधव जी महराज ने यह सीख दी। इस दौरान जुटे श्रद्धालु जयकारा लगाते रहे।
कथा के दौरान सती चरित्र के प्रसंग को सुनाते हुए कहा कि भगवान शिव की बात को नहीं मानने और पिता के घर जाने पर अपमानित होने के कारण सती को स्वयं को अग्नि में स्वाहा करना पड़ा। ध्रुव चरित्र की कथा को सुनाते हुए समझाया कि ध्रुव की सौतेली मां सुरुचि के द्वारा अपमानित होने पर भी उसकी मां सुनीति ने धैर्य नहीं खोया जिससे एक बहुत बड़ा संकट टल गया। परिवार को बचाए रखने के लिए धैर्य, संयम की आवश्यकता रहती है। भक्त ध्रुव द्वारा तपस्या कर श्रीहरि को प्रसन्न करने की कथा को सुनाते हुए बताया कि भक्ति के लिए कोई उम्र नहीं है। भक्ति को बचपन में ही करने की प्रेरणा देनी चाहिए क्योंकि बचपन कच्चे मिट्टी की तरह होता है उसे जैसा चाहे वैसा पात्र बनाया जा सकता है। इसी तरह कई अन्य प्रसंगों पर कथा सुनाई। इस मौके पर नवल किशोर मिश्र, धनंजय मिश्र, राजबली उपाध्याय, राजेश पांडेय, लवकुश नारायण मिश्र, शेषनारायण पांडेय, साधु मिश्र, पारसनाथ मिश्र, हीरामणि शुक्ल आदि मौजूद रहे।