लेते हैं संकल्प, पटाखा नहीं फोड़ेंगे हम
दीपावली पर्व को जोर-शोर से मनाने की तैयारी की जा रही है। पर्व को यादगार बनाने के लिए मंगलवार को नगर व बाजार भीड़ से पटे रहे। घरों में तरह-तरह के पकवान तैयार करने को लेकर जहां खरीदारी होती रही तो पर्व पर धमाल मचाने को पटाखों की दुकानें भी सजी रहीं। लेकिन लक्ष्मी पूजन के बाद पर्व की खुशी के रूप में फोड़े जाने वाले पटाखे अब खुशी को बर्बाद करने का सामान बनते जा रहे हैं।
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : दीपावली को जोर-शोर से मनाने की तैयारी की जा रही है। पर्व को यादगार बनाने के लिए मंगलवार को नगर व बाजार भीड़ से पटे रहे। घरों में तरह-तरह के पकवान तैयार करने को लेकर जहां खरीदारी होती रही तो पर्व पर धमाल मचाने को पटाखों की दुकानें भी सजी रहीं। लक्ष्मी पूजन के बाद पर्व की खुशी के रूप में फोड़े जाने वाले पटाखे अब खुशी को बर्बाद करने का सामान बनते जा रहे हैं। पर्यावरण में प्रदूषण को बढ़ावा देकर भविष्य के लिए खतरा उत्पन्न कर रहे हैं तो तमाम शारीरिक व मानसिक व्याधियों को जन्म दे रहे हैं।
पटाखों का शोर व आतिशबाजी के दौरान निकलने वाली चमक भले ही चंद पल के लिए हमारे चेहरे पर मुस्कान ला देते हैं लेकिन शायद इसका अंदाजा किसी को नहीं हैं कि चंद पल की मुस्कान देने वाले पटाखों से निकलने वाले तेज आवाज व धुआं हमारे लिए मौत का सामान भी तैयार कर दे रही है। इसका आभास हमें उस वक्त नहीं होती जब हम पटाखों की रोशनी में खो जाते हैं। आजकल के युवा पटाखे खरीदते समय उसकी तीखे शोर व प्रकाश पर ध्यान देते हैं। पटाखे के रूप में हम पैसों की बर्बादी व जान को जोखिम में डालने का पूरा-पूरा सामान खुशी-खुशी घर लाते हैं। पटाखों से निकलने वाला धुआं जहां पर्यावरण को प्रदूषित करता है तो इसकी तेज आवाज ध्वनि प्रदूषण को बढ़ावा देती है। ऐसे में जब पर्यावरण ही स्वच्छ व सुरक्षित नहीं रहेगा तो जीवन के लिए खतरा ही खड़ा होगा। हमें चाहिए कि पटाखों के बजाय किसी गरीब परिवार की मदद कर उसकी खुशी का सामान खरीदा जाय। इससे पर्व मनाने का मजा बढ़ जाएगा।
चित्र.19.श्याम सूरत पांडेय
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- चंद पल की खुशी हासिल करने के लिए युवा- बच्चे पटाखा फोड़ते हैं। कई बार ऐसा देखा जाता है कि पटाखा छोड़ने में की गई जरा की असावधानी से दुर्घटना हो जाती है। जो जीवन भर के लिए दर्द दे जाती है। हम जितने का पटाखा छोड़ते हैं उतना किसी गरीब परिवार को सहयोग दे, दें तो समाज का एक भी गरीब भूखा नहीं रहेगा। लोगों को पटाखा नहीं छोड़ने का संकल्प लेना चाहिए।
चित्र.20. विनीत श्रीवास्तव, भइया जी
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- दीपों का पर्व धूमधाम से मनाएंगे लेकिन पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए पटाखा नहीं छोड़ेंगे। साथ ही और लोगों को भी पटाखा न फोड़ने के लिए प्रेरित करेंगे। पटाखा छोड़ने के बजाए दीपक जला कर पर्व को मनाएंगे। प्रत्येक व्यक्ति को पर्यावरण को किसी भी तरह से नुकसान पहुंचाने वाले कारकों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
चित्र.21. रमाकांत गुप्ता
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- पर्यावरण से हमें जीवन के लिए अत्यंत उपयोगी आक्सीजन की आपूर्ति होती है। इसके साथ ही शुद्ध हवा भी मिलती है। दीपावली में पटाखा फोड़ने से वातावरण प्रदूषित हो जाता है। ऐसे में हमें शुद्ध हवा नहीं मिल पाएगी। भविष्य को सुरक्षित रखने व पर्यावरण के संरक्षण के लिए हमें संकल्प लेना होगा कि हम पर्व तो मनाएंगे लेकिन पटाखा नहीं फोड़ेंगे।
चित्र.22. श्रीकांत जायसवाल