कुलाबों से नहीं निकल रहा पानी, बढ़ी अन्नदाताओं की परेशानी
किसानों को किसी भी चीज के लिए परेशान नहीं होने दिया जाएगा। खाद-बीज से लेकर बिजली-पानी तक की कोई कमी नहीं रहने दी जाएगी। आए दिन होने वाली किसान गोष्ठियों व अन्य आयोजनों के मौके पर इस तरह के दावे किये जाते हैं। इसके बाद भी किसानों की समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। मौजूदा समय में धान की नर्सरी
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : किसानों को किसी भी चीज के लिए परेशान नहीं होने दिया जाएगा। खाद-बीज से लेकर बिजली-पानी तक की कोई कमी नहीं रहने दी जाएगी। आए दिन होने वाली किसान गोष्ठियों व अन्य आयोजनों के मौके पर इस तरह के दावे किये जाते हैं। इसके बाद भी किसानों की समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। मौजूदा समय में धान की नर्सरी डालने का दौर चल रहा है। किसानों की सुविधा के लिए नहर व रजवाहों में पानी छोड़ने का दावा तो किया जा रहा है लेकिन कुलाबों से पानी नहीं निकल पा रहा है। इससे किसानों की परेशानी बढ़ी हुई है। खरीफ अभियान की प्रमुख धान फसल की रोपाई के लिए नर्सरी डालने का काम चल रहा है। ऐसे दौर में भी क्षेत्र के विभिन्न गांवों से होकर गुजरी ज्ञानपुर नहर प्रखंड के मुख्य नहर में पानी की क्षमता अत्यंत कम होने से कुलाबों से बाहर नहीं आ पा रहा है। किसानों को सिचाई के लिए समस्या हो रही है। किसान पंपसेट या फिर नहर में निजी पंप मशीन लगाकर 80 से 100 रुपये घंटे की दर से सिचाई करने को विवश हो रहे हैं।
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नलकूप भी छोड़ रहे साथ
- नहर में पानी की क्षमता कम होने के साथ नलकूप भी किसानों का साथ छोड़ रहे हैं। स्थिति यह है कि कहीं मोटर -ट्रांसफार्मर जलने तो कहीं मात्र स्टार्टर आदि की छोटी-छोटी कमियों के चलते नलकूप किसानों को धोखा दे रहे हैं। विभागीय आंकड़ा चाहे जो कहे लेकिन करीब सौ से अधिक नलकूप बंद हैं। डीघ ब्लाक क्षेत्र के ऊंज, चेरापुर, जगापुर पड़ान, बैरी आदि गांवों में स्थापित नलकूप पिछले कई-कई माह से खराब पड़े हैं। किसानों द्वारा कई बार इन्हें ठीक कराने के लिए अफसरों के यहां गुहार लगाई जा चुकी है, लेकिन आज तक कोई ध्यान नहीं दिया जा सका है।
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क्या बोले अन्नदाता
- नहर सिचाई का प्रमुख साधन है। इसके बाद भी समय से पानी नहीं छोड़ा जाता। एक पखवारे से धान की नर्सरी डालने का काम चल रहा है। किसान परेशान हैं। अब आज पानी छोड़ा गया कितु अब भी क्षमता काफी कम है। इससे पंप लगाकर सिचाई करनी पड़ेगी।
चित्र.9---लालजी यादव, कलीपुर
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- पूरे गर्मी भी नहर में पानी नहीं था। इससे पशु चारे से लेकर सब्जियों आदि फसल की सिचाई को निजी पंपसेटों या फिर डीजल इंजन के सहारे सिचाई करनी पड़ी। इससे खेती की लागत में वृद्धि हो जाती है। समय से नहर चलती रहे तो लोगों को राहत मिले।
चित्र.10---मुंशीलाल, ऊंज
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- निजी सिचाई साधन के सहारे धान की नर्सरी डाली गई। अब नहर में पानी छोड़ा गया है लेकिन पानी की क्षमता अभी काफी कम है। इससे नालियों के जरिए सिचाई नहीं हो पाएगी। इंजन आदि लगाकर सिचाई करनी होगी। इससे किसानों को आर्थिक दिक्कत होगी।
चित्र.11---रज्जाक अहमद, गोधना
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- समय-समय पर नहर में पानी छोड़ा जाता रहे तो किसानों को सहूलियत मिलेगी। एक पखवारे से नर्सरी डालने का काम चल रहा है। अब जाके पानी छोड़ा गया है। वह भी इतना पर्याप्त नहीं कि पानी कुलाबे से बाहर निकल सके। इससे पंप लगाकर सिचाई करनी होगी।
चित्र.12--- राजनारायण, गोधना
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मुख्य नहर सहित अन्य नहर व रजवाहों में पानी छोड़ दिया गया है। अभी केबल दो पंप चलाए जा रहे हैं। कारण है कि एक साथ पानी छोड़ने से नहर टूटने का खतरा रहता है। जल्द ही जरूरत के अनुसार पानी की क्षमता बढ़ाई जाएगी। पानी बराबर चलता रहेगा। ---पारितोष रंजन, उपखंड अधिकारी नहर