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गंगा तटवर्ती 47 गांवों में शौचालय योजना फ्लाप

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : मोक्षदायिनी को निर्मल रखने की केंद्र सरकार की कवायद अधिकारियो

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Nov 2018 07:39 PM (IST)Updated: Wed, 21 Nov 2018 07:39 PM (IST)
गंगा तटवर्ती 47 गांवों में शौचालय योजना फ्लाप
गंगा तटवर्ती 47 गांवों में शौचालय योजना फ्लाप

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : मोक्षदायिनी को निर्मल रखने की केंद्र सरकार की कवायद अधिकारियों के अकर्मण्यता की भेंट चढ़ गई है। आलम यह है कि नमामि गंगा योजना के तहत जिले में गंगा तटीय 47 गांवों में शौचालय बनाने की योजना फ्लाप साबित हो रही है। ग्राम प्रधानों द्वारा गाइड-लाइन की अनदेखी कर शौचालय का निर्माण करा दिया गया है। परिणाम यह है कि शौचालय कहीं पर प्रयोग के पहले ही ध्वस्त हो गए हैं तो कहीं पर जंगल सरीखी घास उग आई है।

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गंगा की निर्मलता बनाए रखने के लिए नमामि गंगे योजना के अंतर्गत तटीय क्षेत्रों के 47 ग्राम पंचायतों में 12 हजार शौचालयों का निर्माण कराया जा चुका है। इसके साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा इसकी रिपोर्ट भी शासन को प्रेषित कर दी गई कि गंगा के तटवर्ती क्षेत्रों के गांव खुले में पूरी तरह शौच मुक्त हो चुके हैं। हकीकत यह है कि अस्सी फीसद शौचालयों को मानकों की अनदेखी कर तैयार करा दिया गया है। घटिया निर्माण होने के कारण लाभार्थी शौचालय का उपयोग भी नहीं कर रहे हैं। कहीं पर दीवार तैयार कर छोड़ दिया गया है तो कहीं पर गड्ढा। नियमानुसार एक शौचालय में दो गड्ढे निर्माण कराने कराने का प्रावधान है। बावजूद इसके तटीय इलाकों में सचिवों और प्रधानों की मनमानी से एक ही गड्ढे निर्माण कराए गए हैं। मामला बहुत ही गंभीर

जिला पंचायत राज अधिकारी बालेशधर द्विवेदी का कहना है कि मामला बहुत ही गंभीर है। शौचालयों के उपयोग के संबंध में लोगों को जागरूक किया जा रहा है। रही बात मानक की अनदेखी का तो मामले की जांच कराकर दोषी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। नहीं हो रहा उपयोग

- केंद्र सरकार की अति महत्वाकांक्षी नमामि गंगे योजना पूरी तरह से पटरी से उतर चुकी है। करोड़ों खर्च के बाद भी तटवर्ती क्षेत्रों में शौचालयों की स्थिति संतोषजनक नहीं है। जिम्मेदार महकमा तो गांव में शौचालयों की हकीकत देखना भी उचित नहीं समझता है। धीरे-धीरे तीन वर्ष से अधिक का समय बीत गया लेकिन अभी तक योजना मूर्त रूप नहीं ले सकी। तटीय गांवों में लोग बेधड़क खुले में शौच के लिए मजबूर हैं। खास बात तो यह है कि शौचालय बनते ही ध्वस्त हो जा रहे हैं।


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