छह साल बाद भी नहीं बनी रे¨लग, आक्रोश
भले ही शासन और प्रशासन तटवर्ती क्षेत्र के विकास का दंभ तो भरते हैं लेकिन समस्याएं जड़ नहीं छोड़ रही हैं। इस पर न तो अधिकारी ही गंभीर दिख रहे हैं और न ही जनप्रतिनिधि। आदतों में शुमार हो चली अनदेखी और उपेक्षाओं को जीवन में ढाल कर लोग भी इसका पीछा करते फिर रहे हैं शायद कभी किसी को याद आएगी समस्या का निवारण होगा। जी, हां ऐसा ही कुछ नजारा तटवर्ती क्षेत्र को जोड़ने वाले शार्टकट टेला नार में बने रपटा पुल को देखकर
जागरण संवाददाता, सीतामढ़ी (भदोही) : शासन और प्रशासन की ओर से तटवर्ती क्षेत्र के विकास को लेकर भले ही तमाव दावे किए जा रहे हों लेकिन हकीकत इसके ठीक विपरीत है। आलम यह है कि छह साल बाद भी रपटा पुल की रे¨लग का निर्माण नहीं कराया जा सका है। इसको लेकर क्षेत्रीय ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त है। शार्टकट टेला नार में बने रपटा पुल को देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
तटवर्ती क्षेत्र और पड़ोसी जनपद इलाहाबाद को जोड़ने वाला रपटा पुल को लेकर जिम्मेदार महकमा अंजान बना हुआ है। क्षेत्रवासियों की मांग पर लगभग छह साल पहले सांसद निधि से लाखों रुपए खर्च कर टेला गांव के पास स्थित नाला के मध्य रपटा पुल का निर्माण कराया गया। इससे क्षेत्रीय लोगों की बारिश के दिनों में राहत मिल गया था। पुल के निर्माण में लगे ठेकेदारों द्वारा मानकों की अनदेखी तो की लेकिन उस पर रे¨लग न बनने से आए दिन लोग नाले में गिर जा रहे हैं। जानकारों का कहना है कि पुल पर जब दो बड़े अथवा छोटे वाहनों के एक साथ गुजरना पड़ता है तब स्थिति और ही विकट बन जाती है। इसलिए दोनों ओर से वाहन चालकों को रुक कर और एक-एक वाहनों के पास हो जाने के बाद ही आगे बढ़ते हैं। यह स्थिति बरसात के दिनों में और ही भयावह नजर आती है। कई बार जिला प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों का ध्यान आकृष्ट कराया गया जिनके द्वारा न तो रे¨लग का निर्माण शुरु कराया गया और न ही कोई वैकल्पिक व्यवस्था किया गया। रामसागर गुप्ता, मो.फैसल, राजबहादुर, दयाराम यादव, केएम तिवारी आदि ने स्थलीय निरीक्षण कराकर अविलंब पुल पर रै¨लग का निर्माण कराए जाने की मांग की।