जमातियों को छिपाने का मामला फिर गरमाया
दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज मस्जिद के तब्लीगी जमात में शामिल हुए बांग्लादेशी 11 जमातियों को भदोही में संरक्षण देने का मामला फिर गरमाया है। आरोप है कि प्रदेश भर में संरक्षण देने वालों के खिलाफ कार्रवाई हुई लेकिन भदोही में उन्हें क्लीन चिट दे दिया गया। इस मामले में आरोपित कालीन निर्यातकों के घर पुलिस के उच्चाधिकारियों के आना-जाना लगा रहता है।
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज मस्जिद के तब्लीगी जमात में शामिल हुए बांग्लादेशी 11 जमातियों को भदोही में संरक्षण देने का मामला फिर गरमाया है। आरोप है कि प्रदेश भर में संरक्षण देने वालों के खिलाफ कार्रवाई हुई लेकिन भदोही में उन्हें क्लीन चिट दे दिया गया। मामले में आरोपित कालीन निर्यातकों के घर पुलिस के उच्चाधिकारियों के आना-जाना लगा रहता है। इसलिए जांच में उन्हें दोषमुक्त कर दिया गया। मामला सीएम दरबार तक पहुंच गया है। एक भाजपा नेता ने मुख्यमंत्री से इसकी शिकायत कर किसी उच्च स्तरीय एजेंसी से जांच कराने की मांग की है। उसकी शिकायत के बाद एक बार फिर मामला गरमाता दिख रहा है।
------------------
क्या था पूरा मामला :- दिल्ली स्थित निजामुद्दीन मरकज मस्जिद में तब्लीगी जमात की ओर से आयोजित जमात में बड़ी संख्या में स्वदेश और विदेश के जमाती शामिल हुए थे। विदेश से आने वाले जमातियों के संपर्क में आने से अधिसंख्य लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए। सरकार द्वारा बार-बार अपील करने के बाद भी जमाती अपने को छिपाए रखे। कार्यक्रम में शामिल होकर 11 बांग्लादेशी और तीन असम के लोग काजीपुर स्थित मरकज मस्जिद के पास स्थित एक निजी गेस्ट हाउस में रुके थे लेकिन प्रशासन को इसकी जानकारी नहीं दी। पुलिस को मामला संज्ञान में आने पर उनके खिलाफ वीजा और लॉकडाउन उल्लंघन के आरोप में मामला दर्ज किया गया।
---------------
इन संरक्षणदाताओं पर दर्ज था केस
पुलिस के चार्जशीट से संरक्षणदाताओं को बाइज्जत बरी कर दिया गया था। जमातियों को छिपाने के आरोप में संरक्षणदाता हाजी अब्दुल अयुब अंसारी, हाजी अब्दुल रब अंसारी, हाजी हलीम उल्लाह, मुस्ताक अहमद, अब्दुल रहीम, मनौवर अली के नाम भी मुकदमा दर्ज था। पुलिस विवेचना में संरक्षणदाताओं के नाम निकाल दिया गया। संरक्षणदाताओं के नाम निकलने से पुलिस की जांच पर सवाल उठने लगे हैं। मामले में पुलिस अफसरों को विदेशी गाय भी गिफ्ट की गई थी। इसकी पुष्टि भी कि जा सकती है कि प्रयागराज में सरंक्षण देने वालों को जेल जाना पड़ा था लेकिन भदोही में बाइज्जत बरी कर दिया गया।