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बेसहारा रौंद रहे किसानों के खून-पसीने की कमाई

जागरण संवाददाता ज्ञानपुर (भदोही) : खून-पसीना एक कर किसान फसल की बोआई कर निराई-गुड़ाई से लेकर सिचाई आद

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Feb 2020 04:58 PM (IST)Updated: Sun, 16 Feb 2020 04:58 PM (IST)
बेसहारा रौंद रहे किसानों के खून-पसीने की कमाई
बेसहारा रौंद रहे किसानों के खून-पसीने की कमाई

जागरण संवाददाता ज्ञानपुर (भदोही) : खून-पसीना एक कर किसान फसल की बोआई कर निराई-गुड़ाई से लेकर सिचाई आदि में लगे हैं। फसल के उत्पादन पर ही उनकी उम्मीद टिकी है। वर्ष भर के भोजन के साथ अन्य उत्पादन को बेचकर तमाम कार्य पूरा करने की योजना बनाए बैठे हैं। उनके इन सारे मंसूबों पर बेसहारा मवेशियों ने पानी फेर दे रहे हैं। दिन व रात पहुंच रहे मवेशियों के झुंड उनकी फसल को पल भर में चट कर जा रहे है। उधर मवेशियों को गोशाला पहुंचाने को लेकर जिम्मेदार बनाए गए सरकार के नुमाइंदों का आलम यह है कि वह मस्त हैं। उन्हें कोई चिता नहीं है। यह स्थिति तब है जब जिला प्रशासन की ओर से जिले में 19 स्थायी और अस्थायी गोवंश आश्रय स्थल खोले गए हैं। खेतों की रखवाली करने के लिए किसान रात-रात जागरण कर रहे हैं। फिर भी उनके लिए फसल बचना मुश्किल हो रहा है। मौका पाते ही बेसहारा मवेशियों के झुंड खेतों में घुसकर फसलों को नष्ट कर दे रहे हैं।

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क्या कहते हैं किसान

कर्ज लेकर किसी तरह से खेत की बोआई किया था। बेसहारा मवेशियों ने खेती पूरी तरह बर्बाद कर दे रहे हैं। गेहूं की बोआई कराया है। दिन में तो रखवाली कर लिया जाता है लेकिन रात में यह मुश्किल हो जाता है। खेती पूरी तरह चौपट हो जा रही है।

चित्र.2. लक्ष्मीशंकर मिश्र

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- किसी तरह इस महंगाई में खेती की जाती है। गेहूं की बोआई तो करा दिया लेकिन उसे भी बेसहारा मवेशी बचने नहीं दे रहे हैं। अरहर, सब्जी आदि की खेती करना मुश्किल हो गया है। इसी तरह रहा तो परिवार भुखमरी का शिकार हो जाएगा।

चित्र.3. मंशाराम जायसवाल

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पूरे दिन खेतों की रखवाली करनी पड़ रही है। आलू, गेहूं, सरसों आदि फसलों में एक भी नहीं छोड़ रहे हैं। कड़ाके के ठंड में किए गए मेहनत को मिट्टी में मिला दे रहे हैं। इसके लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो किसान सड़क पर आ जाएंगे।

चित्र.4. रमेशचंद पांडेय

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बेसहारा मवेशियों के लिए आश्रय स्थल खोले गए हैं। इसके बाद भी वह किसानों के फसल को चौपट कर दे रहे हैं। शासन के निर्देश के बाद भी जिम्मेदारों की ओर से कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। किसानों पूरी तरह बर्बाद हो जा रहे हैं।

चित्र.5. इंद्रसेन सिंह


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