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कोरोना की बंदी में बिक गई टैक्सी

कोरोना वायरस संक्रमण के विस्तार को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन में तो जैसे-तैसे गृहस्थी की गाड़ी खींची। उम्मीद थी की लॉकडाउन समाप्त होते ही व्यवसाय शुरू होगा गाड़ी पटरी पर लौट आएगी। अनलाक-1 में बंदिशों से छूट तो मिली लेकिन भदोही रेलवे स्टेशन के टैक्सी स्टैंड से जुड़कर आटो व टैक्सी चलाकर

By JagranEdited By: Published: Fri, 03 Jul 2020 08:44 PM (IST)Updated: Fri, 03 Jul 2020 08:44 PM (IST)
कोरोना की बंदी में बिक गई टैक्सी
कोरोना की बंदी में बिक गई टैक्सी

जागरण संवाददाता, भदोही : कोरोना वायरस संक्रमण के विस्तार को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन में तो जैसे-तैसे गृहस्थी की गाड़ी खींची। उम्मीद थी की लॉकडाउन समाप्त होते ही व्यवसाय शुरू होगा, गाड़ी पटरी पर लौट आएगी। अनलाक-1 में बंदिशों से छूट तो मिली लेकिन भदोही रेलवे स्टेशन के टैक्सी स्टैंड से जुड़कर आटो व टैक्सी चलाकर जीविकोपार्जन करने वाले चालकों को उसमें भी राहत नहीं मिल सकी। ट्रेनों का संचालन न होने से दशा ज्यों कि त्यों बनी रही। आजीविका का एक मात्र संसाधन ठप होने के बाद गृहस्थी की गाड़ी ऐसी चरमराई की टैक्सी तक बेचना पड़ गया। आटोरिक्शा व टैक्सी चलाकर परिवार चलाने वाले अब मजदूरी को विवश हैं।

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केस-1 : परिवार की आजीविका चलाने के लिए एक साल पहले बैंक से ऋण लेकर आटो खरीदा था। स्टेशन पर लगाकर रोजी रोटी चल रही थी। लॉकडाउन लगने के बाद घर बैठने को विवश हो गए। इस बीच पांच हजार रुपये प्रति माह बैंक की किश्त भी देना था। दो माह घर बैठने के बाद एक तरफ घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया तो दूसरी ओर किश्त न जमा करने के कारण बैंक का ऋण बढ़ता जा रहा था। 65 हजार में आटो बेचना पड़ा। बैंक का 40 हजार बकाया अदा करने के बाद शेष धन घर के खर्च में लगा दिया। फिलहाल अभी कोई काम नहीं कर रहे हैं।--चित्र.31-- खुर्शीद केस-2 : साल भर पहले तक दो आटो व एक ई-रिक्शा चलवाते थे। कमाई कम होने व बैंक का कर्ज अधिक होने के कारण दोनों आटो तो पहले ही बेच दिया था। लॉकडाउन के दौरान ई-रिक्शा भी घर खड़ा करना पड़ा। एक माह तक तो किसी तरह से काम चलाया लेकिन जब स्थिति बिगड़ने लगी तो उसे भी बेचना पड़ा। अब वह हालात सुधरने का इंतजार कर रहे हैं। हालात सामान्य होने के बाद कोई व्यवसाय करेंगे।--चित्र.32--शर्फुद्दीन हाशमी

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दरअसल, यह समस्या एक-दो कि नहीं बल्कि भदोही रेलवे स्टेशन के टैक्सी स्टैंड से जुड़कर आटो व टैक्सी चलाकर जीविकोपार्जन करने वाले 75 लोगों की है। लॉकडाउन में तो वह घर बैठे ही थे, अनलाक में भी ट्रेनों का परिचालन न होने से उनके वाहन खड़े रह गए। कमाई का जरिया ठप हो जाने से घर गृहस्थी चलाना मुश्किल हो गया है। बैंक से ऋण लेकर वाहन खरीदने वालों के सामने किश्त जमा करने की चुनौती खड़ी हो गई है। चालकों को रोजी-रोटी चलाने के लिए व्यवसाय बदलने की मजबूरी खड़ी हो गई है।


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