डायलिसिस पर राजकीय अस्पताल
राजकीय अस्पतालों की स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर भले ही सरकार धनवर्षा कर रही है लेकिन वास्तविकता यह है कि अस्पतालों में मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है। जनता की स्वास्थ्य सेवा के लिए स्थापित अधिकतर राजकीय अस्पताल स्वयं डायलिसस पर हैं। ऐसे में बेहतर स्वास्थ्य सेवा की उम्मीदें बेमानी साबित हो रही हैं। बानगी के तौर पर महाराजा बलवंत
जासं, भदोही: राजकीय अस्पतालों की स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर भले ही सरकार पानी की तरह धन बहा रही हो लेकिन हकीकत में स्थिति जस की तस बनी हुई है। अस्पताल मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहा है। आलम यह है कि अधिसंख्य स्वास्थ्य केंद्र डायलिसस पर हैं। ऐसे में बेहतर स्वास्थ्य सेवा की उम्मीदें बेमानी साबित हो रही हैं। बानगी के तौर पर महाराजा बलवंत सिंह राजकीय अस्पताल को देखा जा सकता है। कालीन नगरी के प्रमुख राजकीय अस्पताल पर नगर की एक लाख से अधिक आबादी के साथ-साथ आसपास के पांच दर्जन गांवों के मरीज आते हैं। वर्तमान समय अस्पताल की प्रतिदिन आठ सौ से एक हजार तक ओपीडी होती है। अस्पताल में मरीजों का मेला लगा रहता है। सर्दी बुखार खांसी की दवाओं के अलावा अस्पताल में गंभीर रोग में काम आने वाली न तो दवाएं हैं और न ही जांच की उत्तम सुविधा। ओपीडी के अनुसार अस्पताल में 20 चिकित्सक होने चाहिए लेकिन 15 से काम चलाया जा रहा है।
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शोपीस बना हुआ है अल्ट्रासाउंड
लगभग तीन वर्ष पहले अल्ट्रासाउंड केंद्र रेडियोलाजिस्ट के अभाव में शोपीस बना हुआ है। इस संबंध में विभागीय स्तर पर लिखा पढ़ी के बाद भी व्यवस्था नहीं हो सकी। परिणामस्वरूप रोगियों को निजी केंद्रों की सेवा लेनी पड़ती है, जो गरीब रोगियों के लिए परेशानी का सबब साबित हो रही है। एकमात्र एक्स-रे मशीन भी आठ अगस्त से बीमार है। इसके चलते समस्या और बढ़ गई है।
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बर्न यूनिट का अभाव चिता का विषय
औसतन एक हजार रोगियों की ओपीडी वाले राजकीय अस्पताल एमबीएस में बर्न यूनिट का अभाव है। माह में बर्न के दो-चार केस आते हैं लेकिन चिकित्सक प्राथमिक उपचार के बाद तत्काल रेफर पर्ची पकड़ाने के लिए विवश हैं। इस संबंध में विभगीय स्तर से शासन को लिखा पढ़ी की गई लेकिन अब तक सकारात्मक पहल नहीं हुई।
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अक्षम साबित हो रहा जनरेटर
सीएमएस डा. जयनरेश के अनुसार अस्पताल में आक्सीजन की व्यवस्था चाक चौबंद है। अग्निशमन यंत्र भी विभिन्न कक्षों में लगाए गए हैं। अस्पताल में पेयजल की पर्याप्त व्यवस्था है लेकिन बिजली की आंख मिचौली परेशानी का सबब साबित हो रहा है। अस्पताल में 15 केवी का जनरेटर है जो बेहद जर्जर अवस्था में जा पहुंचा है। लोड उठाने में अक्षम साबित हो रहा है। 25 केवी का नया जनरेटर लगवाने की मांग की गई है।