दिल्ली को दिल से निकाल कर आए थे सीतामढ़ी
काशी-प्रयाग के मध्य मोक्षदायिनी के तट पर स्थित सीता समाहित स्थल सीतामढ़ी को विश्व पटल पर पहचान दिलाने वाले महान विभूति पंड़ित सत्यनरायण पुंज को अश्रुपुरित आखों से श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
जागरण संवाददाता, सीतामढ़ी (भदोही) : काशी-प्रयाग के मध्य मोक्षदायिनी के तट पर स्थित सीता समाहित स्थल सीतामढ़ी को विश्व पटल पर पहचान दिलाने वाले महान विभूति पंडित सत्यनरायण पुंज को अश्रुपुरित आखों से श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस दौरान माननीयों के अलावा बड़ी संख्या में गणमान्य लोगों ने श्रद्धासुमन अर्पित कर उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला।
सीतामढ़ी स्थित मल्टीपरपज हाल में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में शुक्रवार को सत्यनारायण पुंज की बहू वासुकी पुंज ने रूंधे गले से कहा कि बाबू जी दिल्ली को दिल से निकालकर सीतामढ़ी के हो गए थे। वह धार्मिक भाव से आए थे। मां सीता की प्रेरणा से यहां के सामाजिक उत्थान का वीणा उठा लिया। सामाजिक उत्थान और शैक्षिक विकास के साथ ही निर्बलों के सेवा के लिए काम करते रहे। स्व. पुंज के ज्येष्ठ पुत्र अतुल पुंज ने उपस्थित लोगों के प्रति आभार जताते हुए कहा कि पिता जी द्वारा संचालित मिशन और तेजी से चलेगा। सीतामढ़ी को शैक्षणिक हब के रूप में विकसित किया जाएगा। ज्ञानपुर विधायक विजय मिश्रा ने स्व. पुंज को जनपद का गौरव बताया। कहा कि उन्होंने सीतामढ़ी को विश्व पटल पर पहचान दिलाई है। ऐसी महान विभूति को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है। ओपी चौधरी ने सभा का संचालन किया। श्रद्वांजलि सभा में जिला पंचायत अध्यक्ष काजल यादव, विधान परिषद सदस्य रामलली मिश्र, गोपीगंज नगर पालिका अध्यक्ष प्रहलाद दास गुप्ता, राकेश दुबे, राहुल दुबे, विध्यवासिनी मिश्र, श्याम बहादुर सिंह आदि थे।