हुजूर! दौड़ते छूटा पसीना, मुश्किल हुआ जीना
स्थानीय तहसील सभागार में संपूर्ण समाधान दिवस के दौरान बार-बार चक्कर लगा रहे फरियादियों को कुछ समाधान की उम्मीद दिखी। सोचा कि जिले के आला अधिकारी की मौजूदगी में समस्या का समाधान हो जाएगा। दुखड़ा सुनाकर पत्रक देने के बाद एक बार फिर आश्वासन मिलने पर वापसी के समय चेहरे पर निराशा के भाव उभर आए। पीड़ितों ने व्यवस्था को कोसते हुए घर वापसी किया।
जासं, औराई (भदोही) : स्थानीय तहसील सभागार में संपूर्ण समाधान दिवस के दौरान बार-बार चक्कर लगा रहे फरियादियों को कुछ समाधान की उम्मीद दिखी। सोचा कि जिले के आला अधिकारी की मौजूदगी में समस्या का समाधान हो जाएगा। दुखड़ा सुनाकर पत्रक देने के बाद एक बार फिर आश्वासन मिलने पर वापसी के समय चेहरे पर निराशा के भाव उभर आए। पीड़ितों ने व्यवस्था को कोसते हुए घर वापसी किया।
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केस 1 - तहसील क्षेत्र के पिलखीनी गांव निवासी अमरनाथ तिवारी ने आरोप लगाया कि पड़ोस के लोग जबरन उसकी जमीन में मकान बना रहे है। दो माह से छह बार शिकायत करने के बाद भी समस्या का समाधान नहीं हुआ। आरोप लगाया कि शिकायत के बाद कार्रवाई न होने से निर्माण कार्य बंद नहीं हुआ। दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग किया। केस 2 : शिव कैलाश शर्मा ने आरोप लगाया कि चार बार खाद्यान्न की गड़बड़ी को लेकर शिकायत किया था लेकिन सप्लाई इंस्पेक्टर के मिलीभगत से कोई कार्रवाई कोटेदार पर नहीं की गई। जिससे गरीबों के खाद्यान्न की कालाबाजारी कर रहे कोटेदार के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई। केस 3 : भरतपुर गांव निवासी चंदा देवी ने अंत्योदय कार्ड पर नाम दर्ज कराने के लिए छह माह से आपूर्ति विभाग का चक्कर लगा रही हैं। संपूर्ण समाधान दिवस पर तीन बार प्रार्थना पत्र दे चुकी हैं। लेकिन समाधान नहीं हुआ। केस 4 : रजईपुर गांव निवासी अच्छेलाल ने आरोप लगाया कि उसने अपनी भूमि पर पौधारोपण किया था। जिसके सीमांकन के लिए राजस्व व पुलिस विभाग की टीम ने पड़ताल भी किया। आरोप लगाया कि गांव के प्रभावशाली विरोधियों ने पौधे को उखाड़कर फेंक दिया। छह बार से संपूर्ण समाधान दिवस पर शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई।