कार्य भक्तों के हित, मर्यादा की रक्षा के लिए
क्षेत्र के बिहियापुर ब्रह्नाश्रम में चल रहे सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा के अंतिम दिन गुरुवार को कथावाचक पंडित जटाशंकर दुबे ने कहा कि भगवान का हर कार्य भक्तों के हित व मर्यादा की रक्षा के लिए होता है। कहा कि श्रीमद भागवत कोई सामान्य ग्रंथ नहीं बल्कि भगवान श्रीकृष्ण का साक्षात रूप है।कहा कि
जागरण संवाददाता, सुरियावां (भदोही) : क्षेत्र के बिहियापुर ब्रह्नाश्रम में चल रहे सात दिवसीय श्रीमदभागवत कथा के अंतिम दिन गुरुवार को कथावाचक पंडित जटाशंकर दुबे ने कहा कि भगवान का हर कार्य भक्तों के हित व मर्यादा की रक्षा के लिए होता है। कहा कि श्रीमद भागवत कोई सामान्य ग्रंथ नहीं बल्कि भगवान श्रीकृष्ण का साक्षात रूप है।कहा कि श्रीमद भागवत का एक एक शब्द भगवान के अंत: से निकलने वाली वाणी है। जो मानव जाति के कल्याण व मार्ग दर्शन के लिए है। उन्होंने गोवर्धन प्रसंग के माध्यम से उपस्थित श्रद्धालुओं को रूबरू कराते हुए कहा कि सत्ता अथवा वैभव पाने के बाद कभी अति उत्साहित नहीं होना चाहिए। यह प्रभु की दी हुई विभूति है जो अधर्म के मार्ग पर चलने से हाथ से फिसल भी सकती है। इंद्र को पद का घमंड हुआ तथा उन्होंने भारी बारिश के माध्यम से ब्रज को डुबो देना चाहा लेकिन भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाकर समस्त ब्रजवासियों की रक्षा की। इससे इंद्र का अहंकार स्वयं चूर हो गया। इससे एक तरफ जहां भक्तों की रक्षा हुई वहीं दूसरी ओर इंद्र को भक्ति का वरदान मिला। उधर कथा के अंतिम दिन हवन पूजन व महाप्रसाद वितरण भी किया गया। आयोजक मंडल के रामभवन मिश्र, भोलानाथ तिवारी, विजयराज यादव, सेवालाल तिवारी, श्यामाकांत दुबे आदि ने भगवान की आरती की।