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मातृभाषा ¨हदी को सशक्त करने का संकल्प

जागरण संवाददाता ज्ञानपुर (भदोही) : ¨हदी दिवस (14 ¨सतबर) के मौके पर शुक्रवार को जगह-जगह आयोजित गोष्ठि

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Sep 2018 05:29 PM (IST)Updated: Fri, 14 Sep 2018 05:29 PM (IST)
मातृभाषा ¨हदी को सशक्त करने का संकल्प
मातृभाषा ¨हदी को सशक्त करने का संकल्प

जागरण संवाददाता ज्ञानपुर (भदोही) : ¨हदी दिवस (14 ¨सतबर) के मौके पर शुक्रवार को जगह-जगह आयोजित गोष्ठियों में ¨हदी की महत्ता पर गहन ¨चतन-मनन किया गया। साथ मातृभाषा ¨हदी को सशक्त करने का संकल्प लिया गया। कहा गया कि ¨हदी को बढ़ावा देकर भारतीय संस्कृति व सभ्यता की रक्षा की जा सकती है। ¨हदी में ही वह साम‌र्थ्य है कि सभी को एक सूत्र में पिरो सकती है।

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काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय ज्ञानपुर में ¨हदी विभाग की ओर से आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्राचार्य डा. पीएन डोंगरे ने कहा कि भाषा वह है जो सर्वाधिक जनमानस में बोली व समझी जाती है। उन्होंने उच्चारण की शुद्धता पर जोर देते हुए कहा कि शुद्ध उच्चारण से ही शुद्ध लेखनी संभव नहीं है। डा. शुभा श्रीवास्तव ने कहा कि मातृभाषा वह नहीं जो हम अपने घर-परिवार में सीखते हैं, बल्कि वह है जो हमारे जन्म से पूर्व हमारी मस्तिष्क में हमारे विकास के समय से ही समाहित हो जाती है। डा. प्रभात वर्मा, डा. घनश्याम मिश्र, डा. महेंद्र कुमार व डा. प्रीति ने ¨हदी की महत्ता पर प्रकाश डाला। विभागाध्यक्ष ¨हदी डा. नीलम ने ¨हदी भाषा की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए उपयोगिता बताई। अध्यक्षता ¨हदी विभागाध्यक्ष डा. सविता कुमारी श्रीवास्तव ने की। इस मौके पर डा. अजय सोनकर, डा. हेमंत निराला, डा. नवीन, डा. लोकपति त्रिपाठी, डा. जितेंद्र ¨सह नौलखा, चंद्रभान यादव, डा.अमित गोयल आदि थे।

साहित्यिक संस्था ¨हदी साहित्य परिषद के तत्वावधान में भिदिउरा में आयोजित गोष्ठी में ¨हदी की महत्ता पर प्रकाश डाला गया। मुख्य अतिथि डा. अशोक मिश्र ने ¨हदी की वैज्ञानिकता पर जोर देते हुए कहा कि ¨हदी की गुणवत्ता विपुल है। डा. रामशिरोमणि होरिल ने कहा कि ¨हदी में शब्द समाहार की अदभुत शक्ति है। राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक डा. राजकुमार पाठक ने कहा कि ¨हदी में विश्व भाषा बनने का साम‌र्थ्य है। ¨हदी के प्रति अपने कर्तव्य का बोध करवाने के लिए ¨हदी दिवस का आयोजन किया जाता है। डा. उमाशंकर मिश्र, डा. सुरेश पांडेय मंजुल ने भी विचार व्यक्त किए। गोष्ठी में पारसनाथ मिश्र, शीतला प्रसाद पांडेय, चंद्रभूषण पांडेय,उत्कर्ष पाठक, कृष्ण मुरारी, फूलचंद पांडेय आदि थे।


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