कम हुई प्रशासनिक सक्रियता, पॉलीथिन का उपयोग जारी
अंकुश लगाने को लेकर प्रशासनिक सक्रियता कम होने के साथ ही प्रतिबंधित पालीथीन प्रयोग एक बार फिर से बढ़ता जा रहा है। चाहे वह सड़कों के किनारे बिक रही सब्जियां व फल हो या फिर किराना की दुकान हर जगह पालीथिन का प्रयोग धड़ल्ले के साथ जारी है। हालांकि चंद दिनों तक दिखी सक्रियता के बाद इसके रोकथाम को कोई प्रयास होते नहीं दिख रहा है।
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : अंकुश लगाने को लेकर प्रशासनिक सक्रियता कम होने के साथ ही प्रतिबंधित पालीथीन प्रयोग एक बार फिर से बढ़ता जा रहा है। चाहे वह सड़कों के किनारे बिक रही सब्जियां व फल हो या फिर किराना की दुकान, हर जगह पालीथिन का प्रयोग धड़ल्ले के साथ जारी है। हालांकि चंद दिनों तक दिखी सक्रियता के बाद इसके रोकथाम को कोई प्रयास होते नहीं दिख रहा है।
पर्यावरण से उपजाऊ मिट्टी से लेकर मवेशियों तक के लिए घातक साबित हो रहे पालीथिन के प्रयोग पर अंकुश के लिए राज्य सरकार की ओर से पूर्णत: प्रतिबंध लगा दिया गया है। प्रतिबंध के बाद तो कुछ दिनों तक इस पर रोक लगी रही। यहां तक कि किराना से लेकर सब्जी के दुकानदारों तक के द्वारा कागज के थोगे व झोले का प्रयोग किया जाने लगा था। इतनी ही नहीं आदेश के अनुपालन में जिला प्रशासन से लेकर नगरीय क्षेत्रों तक में अभियान चलाकर दुकानों पर पालीथिन की जांच भी की गई तो भारी मात्रा में पालीथिन को जब्त करने की कार्रवाई भी की गई। हालांकि चंद दिनों बाद ही सब पर मानो विराम लग गया। मौजूदा समय में पालीथिन का प्रयोग फिर से धड़ल्ले के साथ जारी हो गया। चाहे वह सब्जी व फल की दुकान हो या फिर किराने की दुकान। हर जगह पालीथिन का प्रयोग होते देखा जा रहा है। जबकि यह पर्यावरण के लिए घातक हैं वहीं विशेषकर मवेशियों के लिए भी जानलेवा बना हुआ है। पालीथिन में लगे भोजन आदि के चलते मवेशी इसे भी खा जाते हैं जिससे उनकी जान पर बन आती है। जरूरत है कि फिर से अभियान चलाकर पालीथिन पर प्रभावी अंकुश लगाया जाय।