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अमूल्य दूध के समान है रामकथा का महत्व

क्षेत्र के सिकरहा गांव में चल रहे सप्ताह व्यापी श्रीरामकथा के तीसरे दिन कथा व्यास मनीष शरण महाराज ने भूतभावन शंकर तथा माता भवानी प्रकरण, दक्ष प्रजापति के यज्ञ तथा उसमे भगवान शंकर की आज्ञा की अवज्ञा कर यज्ञ में जाने, त्रिदेवों का यज्ञ में भाग नहीं लेने व सती प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि जिस प्रकार दूध का अपना कोई मूल्य नहीं होता उसी प्रकार श्रीराम कथा महत्व भी अमूल्य है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 04 Jan 2019 06:33 PM (IST)Updated: Fri, 04 Jan 2019 06:33 PM (IST)
अमूल्य दूध के समान है रामकथा का महत्व
अमूल्य दूध के समान है रामकथा का महत्व

जासं, ऊंज (भदोही) : क्षेत्र के सिकरहा गांव में चल रहे सप्ताहव्यापी श्रीरामकथा के तीसरे दिन कथा व्यास मनीष शरण महाराज ने भूतभावन शंकर तथा माता भवानी  प्रकरण, दक्ष प्रजापति के यज्ञ तथा उसमें भगवान शंकर की अवज्ञा कर यज्ञ में जाने, त्रिदेवों का यज्ञ में भाग  नहीं लेने व सती प्रसंग का वर्णन किया। कहा कि जिस प्रकार दूध का अपना कोई मूल्य नहीं होता उसी प्रकार श्रीराम कथा महत्व भी अमूल्य है। दूध कितना भी पानी मिल जाए फिर भी दूध अपना स्वभाव यानी सफेदी नहीं छोड़ता उसी प्रकार पति-पत्नी का जीवन होना चाहिए। एक-दूसरे की कमियों को भूलकर स्वभिमानी जीवन को आत्मसात करना चाहिए। उसे ही असली जीवन की संज्ञा कही जा सकती है। रामकथा को जीवन में आत्मसात कर चलने की प्रेरणा दी। सती का कोप और स्वयं की जीवनलीला को समाप्त करने के बाद दक्ष प्रजापति तथा यज्ञ विध्वंस प्रसंग सुनकर उपस्थित श्रद्धालुओं ने जयकारा लगाया। सतीशचंद्र मिश्र, कृष्णा दुबे, लल्लन मिश्र, रामकृष्ण पांडेय, गोपाल मिश्र, शेषधर पांडेय ने व्यासपीठ का विधि विधान से पूजन-अर्चन कर माल्यार्पण किया गया।

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