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महंगाई पर भारी रजाई की तगाई

मौसम बदल चुका है। ठंड व गलन में बेहिसाब इजाफा हो चुका है। विशेषकर सुबह-शाम लोग गर्म कपड़ों में नजर आने लगे हैं। आगामी दिनों में और अधिक ठंड पड़ने को लेकर बचाव के प्रति लोगों की चिता बढ़ती जा रही है। ठंड व गलन की ते होती इस धार े बीच रजाई तैयार करने के पेशे से जुड़े गरीब परिवारों की महिलाओं से

By JagranEdited By: Published: Thu, 19 Dec 2019 08:22 PM (IST)Updated: Thu, 19 Dec 2019 08:22 PM (IST)
महंगाई पर भारी रजाई की तगाई
महंगाई पर भारी रजाई की तगाई

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : मौसम बदल चुका है। ठंड व गलन में बेहिसाब इजाफा हो चुका है। विशेषकर सुबह-शाम लोग गर्म कपड़ों में नजर आने लगे हैं। आगामी दिनों में और अधिक ठंड पड़ने को लेकर बचाव के प्रति लोगों की चिता बढ़ती जा रही है। ठंड व गलन की ते होती इस धार के बीच रजाई तैयार करने के पेशे से जुड़े गरीब परिवारों की महिलाओं से लेकर रूई धुनाई की मशीन लगाए लोग व रूई-कपड़े की दुकान लगाए लोगों के रोजी की रफ्तार तेज हो चुकी है। मौजूदा समय में जगह-जगह लोग रजाई तैयार कराने में लगे देखे जा रहे है तो गांव-गांव में फेरी करके रजाई बेचने वाले दिखने लगे हैं। लेकिन देखा जाय तो महंगाई के चलते रजाई की तगाई कराना लोगों को भारी पड़ रहा है। ऐसे में लोग बनवाने के बजाय बने-बनाए रेडीमेड को ज्यादा तरजीह देते देखे जा रहे हैं।

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जिस तरह गर्मी के मौसम में देशी फ्रीज के रूप में पहचान कायम किए मिट्टी के घड़ो को लेकर कुम्हार गांव-गांव फेरी करना शुरू कर देते हैं, उसी तरह ठंड की दस्तक देते ही रेडीमेड रजाई तैयार कर जीविकोपार्जन करने वाले परिवारों की सक्रियता बढ़ जाती है। एक ओर जहां रूई धुनाई की मशीनों पर रजाई भराने के लिए लोगों की भीड़ लगनी शुरू हो चुकी है वहीं साइकिल, बाइक आदि के जरिए गांव-गांव घूमकर रजाई बेंचने का काम भी शुरू हो चुका है। चकपरौना, कवलापुर में रजाई की तगाई कर परिवार का खर्च चलाने वाले शमीम ने बताया कि एक दिन में चार से पांच रजाई की तगाई कर लेते हैं। जिस पर प्रति रजाई 80 से सौ रुपये तक की मजदूरी मिलती है। महंगाई के चलते लोग बना-बनाया रजाई खरीद लेते हैं। इससे उन्हें प्रति दिन काम भी नहीं मिल पाता।

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- गोपीगंज नगर में रूई व रजाई-गद्दे का व्यवसाय कर रहे राजकुमार ने बताया कि सस्ती रूई लगाकर सामान्य रजाई बनवाने में कम से कम सात से आठ सौ रुपये का खर्च आ जा रहा है। और उसकी बिक्री नौ सौ रुपये में हो रही है। जबकि जरा से बेहतर क्वालिटी के कपड़े व रूई का उपयोग करने पर कीमत और अधिक चली जा रही है। इसी तरह गद्दा भी एक हजार से लेकर 1700 रुपये तक में तैयार हो रहा है। बताया कि लोग बना-बनाए रजाई-गद्दे की ज्यादा खरीदारी कर रहे हैं।

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क्या है कीमत

- रूई 60 से 120 रुपये प्रति किलो

- कपड़ा 300 से लेकर 600 रुपये तक

- रूई धुनाई 10 से 15 रुपये प्रति किलो

- तगाई 80 से 100 रुपये प्रति रजाई


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