या हुसैन की सदाओं के साथ करबला पहुंचा ताजिए का जुलूस
यौमे आशूरा (मोहर्रम) के 40 दिन बाद चेहल्लुम का पारंपरिक जुलूस रविवार को अकीदत व एहतराम के साथ निकाला गया। इस दौरान छोटी बड़ी आठ दर्जन ताजिए के साथ तकिया कल्लन शाह से अजीमुल्लाह चौराहा भरत तिराहा होते हुए गोलमंडी स्थित करबला में देर शाम तक ठंडा किया गया। जुलूस में शहीदाने करबला की शान में मनकबत पढ़ते लोग चल रहे थे। दोपहर से देर शाम तक या हुसैन की सदाएं बुलंद होती रहीं। भारी भीड़ के मद्देनजर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे।
जांस, भदोही : यौमे आशूरा (मोहर्रम) के 40 दिन बाद चेहल्लुम का पारंपरिक जुलूस रविवार को अकीदत व एहतराम के साथ निकाला गया। इस दौरान छोटी बड़ी आठ दर्जन ताजिए के साथ तकिया कल्लन शाह से अजीमुल्लाह चौराहा, भरत तिराहा होते हुए गोलमंडी स्थित करबला में देर शाम तक ठंडा किया गया। जुलूस में शहीदाने करबला की शान में मनकबत पढ़ते लोग चल रहे थे। दोपहर से देर शाम तक या हुसैन की सदाएं बुलंद होती रहीं। भारी भीड़ के मद्देनजर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। विभिन्न मोहल्ले के ताजिये दोपहर ढाई बजे तक मेनरोड पर आ गए थे। लगभग तीन बजे ताजिए जुलूस परंपरागत रास्तों से या हुसैन की सदायें बुलंद करते हुए गोलामंडी स्थित करबला की ओर रवाना हुआ। जुलूस में छोटे बड़े आठ दर्जन ताजिए शामिल थे। अधिकांश तो छोटे छोटे ताजिया थे जो बच्चों ने पूरे उत्साह व अकीदत से तैयार किया था। शाम पांच बजे से ही ताजिए करबला पहुंचने लगे थे। इस दौरान देर शाम तक एक एक कर सभी ताजिए दफन किए गए।