ग्राहकों के आंख में झोंकी धूल, कर रहे जेब खाली
जिले की 41 गैस एजेंसियां प्रतिदिन उपभोक्ताओं की जेब से लाखों रुपये निकाल रहीं हैं। तेल कंपनियों के ब
जिले की 41 गैस एजेंसियां प्रतिदिन उपभोक्ताओं की जेब से लाखों रुपये निकाल रहीं हैं। तेल कंपनियों के बड़े अफसरों से लगायत जिलास्तरीय अधिकारियों को भी बेधड़क चल रहे इस ठगी की भनक तक नहीं लग रही है। लूट का यह खेल कैश एंड कैरी के नाम पर मिलने वाली छूट से चल रही है। कई साल गुजर गए लेकिन अभी तक एजेंसी संचालक इसकी जानकारी भी उपभोक्ताओं देना मुनासिब नहीं समझे। खास बात तो यह है कि रिबेट तो दूर ग्राहकों से निर्धारित मूल्य से अधिक की वसूली भी की जा रही है।
-----------------------
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : तेल कंपनियों की ओर से गोदाम से सिलेंडर प्राप्त करने वाले उपभोक्ताओं को प्रति सिलेंडर 27.60 रुपये की छूट दी जाती है, लेकिन डीलर्स इसे अपने पॉकेट में रख रहे हैं। उपभोक्ताओं को इसकी जानकारी न होने से एजेंसी संचालक प्रति सिलेंडर 27.60 रुपये का चूना लगा रहे हैं। हर माह हो रही'लूट की खेल'पर जिम्मेदारों चुप्पी साधे हुए हैं। गैस बुकिग पर्ची पर होम डिलेवरी का शुल्क जमा कराकर गोदाम से डिलेवरी करने के बाद भी एजेंसी संचालक 27 रुपये की वसूली कर रहे हैं, जबकि नियम के मुताबिक गोदाम से सिलेंडर लेने पर होम डिलेवरी शुल्क उपभोक्ता को वापस की जानी चाहिए।
जिले में हिन्दुस्तान पेट्रोलियम, इंडियन आयल व भारत पेट्रोलियम की संचालित एजेंसियों पर सीएनसी के नाम उपभोक्ताओं की जेब से निकाली जाने वाली 27.60 रुपये की धनराशि पर संचालक ही अपना हक जमा रहे हैं। ऐसे में वेंडरों को होम डिलेवरी करने के बाद उपभोक्ताओं से अतिरिक्त धनराशि वसूलते हैं। उपभोक्ताओं को जागरूक करने के उद्देश्य से दैनिक जागरण द्वारा चलाए जा रहे अभियान को उपभोक्ताओं का न सिर्फ जबरदस्त समर्थन मिल रहा है, बल्कि अपने हक को खुलकर रखने भी लगे हैं। बताया कि एजेंसी संचालकों की मनमानी का नतीजा आम आदमी को भुगतना पड़ रहा है। हद तो यह है कि सब कुछ जानने के बाद भी जिले के जिम्मेदार अधिकारी मौन है। जिला आपूíत विभाग कभी भी इन गैस एजेंसियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करते हैं। यहां तक आए दिन घटतौली की शिकायत मिलने पर भी कार्रवाई नहीं होती है।
----------------
खुल कर बोलने लगे हैं उपभोक्ता
दैनिक जागरण की ओर से चलाए गए अभियान को जबर्दस्त समर्थन मिल रहा है। अब जागरूक उपभोक्ता भी खुल कर बोलने लगे हैं। गोपीगंज के मनोज कुमार सिंह ने बताया कि उनका कनेक्शन उमा गैस एजेंसी से है। उन्हें कभी भी होम डिलीवरी नहीं मिलती है। गोदाम से लाने पर रिबेट भी नहीं मिलता है। गोदाम पर नवीनीकरण के नाम पर भी 150 रुपये लिया गया था जबकि वह घर पर चूल्हा चेक करने नहीं गया था। कटरा बाजार के ईश्वर प्रसाद केसरवानी वर्मा एचपी एजेंसी के गोदाम पर सिलेंडर लेते हैं। गोदाम पर भी अधिक वसूली की गई। कई बार शिकायत किए लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। एक बार होम डिलीवरी किया था तो उससे 20 रुपये अधिक ले लिया गया था।
------------------
पब्लिक पीड़ा.
होम डिलीवरी करने पर ट्राली मैन 20 रुपये अधिक की वूसली करता है। इसकी कई बार शिकायत की गई लेकिन एजेंसी संचालक सुनने को तैयार नहीं हैं। अभियान चलाकर कार्रवाई होनी चाहिए।
चित्र. 13. रमापति पाठक।
-------------
अभियान चलाकर घटतौली और अधिक वसूली करने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए। विभाग के अधिकारी तो कभी भी एजेंसी संचालक पर कार्रवाई नहीं करते हैं।
चित्र.14. सेवालाल रावत।
-------------
तेल कंपनियों की गाइडलाइन की जानकारी उपभोक्ताओं को नहीं दी जाती हैं। गोदाम और एजेंसियों पर रेट बोर्ड भी नहीं लगाया जाता है। कम दाम बढ़ा और कम हुआ पता नहीं चल पाता है। मनमानी वसूली की जाती है।
चित्र.15. शुभम दुबे।
--------------
जागरण की ओर से जागरूक न किया गया होता तो अभी तक हम सब ठगे जाते। गोदाम पर सिलेंडर लेने पर भी रिबेट नहीं दिया जाता है। कई साल से इसी तरह से वसूली की जाती रही है।
चित्र.16. राजेंद्र पाठक।
-------------
अधिकारियों की ओर से अभियान चलाकर एजेंसी संचालकों पर कार्रवाई होनी चाहिए। जब तक कार्रवाई नहीं होती है तब तक मनमानी वसूली होती रहेगी।
चित्र.17. दिनेश मिश्र।
------------
घर पर ले आने वाले वेंडर 10 से 20 रुपये अधिक लेते हैं। क्या ऐसा नियम है, एजेंसियों द्वारा मनमानी वसूली की जाती है। यदि ग्राहक विरोध भी करते हैं तो एजेंसियों के कर्मचारी मारपीट पर अमादा हो जाते हैं।
चित्र.18. संजय शुक्ला।
--------------
सिलेंडर घर पर आए या गोदाम से हम लाएं। 20 रुपये अतिरिक्त देने पर ही एजेंसी वाले देते हैं। अतिरिक्त राशि के लिए दबाव बनाया जाता है। शिकायत भी करते हैं तो कोई कार्रवाई नहीं होती है।
चित्र.19. नीरज।
----------
गैस पहुंचाने वाले सभी ट्राली मैन निर्धारित दाम से अधिक की मांग करते हैं। इंडेन कंपनी के लोग उनके खिलाफ कार्रवाई भी नहीं करते हैं। बोलने पर धमकाते भी हैं।
चित्र.20..संजय।