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स्वांग बना ओडीएफ, बेकार हुए इज्जत घर

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही): गांव सभा डीघ और जमुनीपुर अठगंवा। शौचालय हो अथवा चौदहवां और राज्य

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Feb 2020 07:18 PM (IST)Updated: Fri, 14 Feb 2020 07:18 PM (IST)
स्वांग बना ओडीएफ, बेकार हुए इज्जत घर
स्वांग बना ओडीएफ, बेकार हुए इज्जत घर

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही): गांव सभा डीघ और जमुनीपुर अठगंवा। शौचालय हो अथवा चौदहवां और राज्य वित्त। सर्वाधिक बजट आवंटित किया जाता है। स्वच्छता मिशन के तहत भी शौचालय निर्माण के लिए करोड़ों रुपये जारी किए गए। शौचालय का निर्माण भी कराया गया लेकिन उपयोग के नाम पर सब कुछ शून्य है। कागज में गांव को खुले में शौच मुक्त किया जा चुका है लेकिन धरातल पर कुछ और ही है। 85 फीसद शौचालयों का उपयोग नहीं हो रहा है। आलम यह है कि गांव में जहां-तहां जर्जर हालात में खड़े शौचालय अधिकारियों के मुंह चिढ़ा रहे हैं। यह तो बानगी भर है। इसके अलावा भी जनपद के सभी 561 गांवों में शौचालयों का उपयोग नहीं हो पा रहा है। जानकारों का कहना है कि प्रधान और सचिवों के तालमेल से शौचालयों का निर्माण घटिया करा दिया गया है। यही कारण रहा कि लाभार्थी उसके उपयोग से कन्नी काट रहे हैं।

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स्वच्छता मिशन के तहत वर्ष 2012-13 में सरकार की ओर से बेसलाइन सर्वे कराया गया था। सर्वे रिपोर्ट में 1995 से आच्छादित 70 हजार परिवारों को छोड़कर करीब डेढ़ लाख परिवारों को शामिल किया गया था। इसी आंकड़े के आधार पर डेढ़ लाख से अधिक शौचालयों का आवंटन किया गया। इसके लिए शासन से 200 करोड़ रुपये खर्च किए गए। बेसलाइन सर्वे के अनुसार जनपद के सभी गांव खुले में शौच मुक्त हो चुके हैं लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है। शौचालयों का निर्माण इतना घटिया कराया गया है कि उसका उपयोग लोग नहीं कर पा रहे हैं। जिला समन्वयक सरोज पांडेय का कहना है कि मिशन के तहत लगातार लोगों को जागरूक किया जा रहा है। इसका असर भी गांवों में दिख रहा है। शौचालयों को लेकर लोगों के विचार में परिवर्तन आने लगा है। 50 फीसद से अधिक शौचालयों का उपयोग भी हो रहा है।

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नहीं हो रहा शौचालयों का उपयोग

- बहू बेटियां दूर न जाएं, शौचालय घर में बनवाएं आदि स्वच्छता अभियान के स्लोगन दीवारों पर ही सिमटकर रह गए हैं। स्वच्छता अभियान के अंतर्गत करोड़ों रुपये पानी की तरह भले ही बहा दिए गए हों लेकिन लोगों के दिल और दिमाग में अपना स्थान नहीं बना सके। इसके तहत बनाए गए शौचालय विभाग को मुंह चिढ़ा रहे हैं। कहीं पर बकरी बांधी जा रही है तो कहीं पर भूसा रखा गया है। अब तक शौचालय को महिलाओं की सुरक्षा से भी जोड़ दिया गया है। बावजूद इसके स्थिति जस की तस बनी हुई हैं।


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