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800 बीघे जंगल की भूमि पर कब्जा, अंजान बना राजस्व विभाग

पौधरोपण के लिए गड्ढों की खोदाई का समय आया कि वन विभाग सरकारी भूमि की तलाश में जुट जाता है। वही सड़क की पटरी और तालाब का भीटा। हर साल पौधरोपण का लक्ष्य कुछ इसी तरह से पूरा कर अधिकारी अपनी कुर्सी बचा रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 03 Jun 2020 04:35 PM (IST)Updated: Wed, 03 Jun 2020 04:35 PM (IST)
800 बीघे जंगल की भूमि पर कब्जा, अंजान बना राजस्व विभाग
800 बीघे जंगल की भूमि पर कब्जा, अंजान बना राजस्व विभाग

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : पौधरोपण के लिए गड्ढों की खोदाई का समय आया कि वन विभाग सरकारी भूमि की तलाश में जुट जाता है। वही सड़क की पटरी और तालाब का भीटा। हर साल पौधरोपण का लक्ष्य कुछ इसी तरह से पूरा कर अधिकारी अपनी कुर्सी बचा रहे हैं। हकीकत यह है कि जनपद में अलग-अलग स्थानों पर करीब 800 बीघे जंगल की भूमि पर कब्जा है। राजस्व विभाग के जिम्मेदार अधिकारी भी इसको लेकर अंजान बने हुए हैं।

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सुप्रीम कोर्ट ने जंगल को सुरक्षित रखने का दिया है आदेश

देश की सर्वोच्च अदालत ने पर्यावरण संरक्षण के लिए तालाब, खाद खड्ढा, जंगल आदि को प्राकृतिक धरोहर की संज्ञा दिया है। इसके नवैयत को किसी भी दशा में बदला नहीं जा सकता है। निर्देश है कि जंगल की भूमि पर अतिक्रमण को भी हटवाया जाएगा। इसके बाद भी यदि अतिक्रमण नहीं खाली होता है तो संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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सीन 1 : गंगा तट पर स्थित सेमराध में अकेले 52 बीघा जंगल भूमि है। इस भूमि पर आस-पास के लोगों द्वारा बहुमंजिला भवन बना लिया गया है। बची हुई भूमि पर भी अतिक्रमण कर लिया जा रहा है। क्षेत्रीय लेखपाल कार्रवाई करने के बजाए हथेली गरम कर खिसक लेते हैं। शिकायत भी होती है लेकिन अभी तक कार्रवाई नहीं हुई।

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सीन 2 : भदोही के रामपुर सर्राेई गांव के राजस्व अभिलेख में कई बीघे भूमि जंगल के खाते में दर्ज है। गांव के लोगों द्वारा इस जंगल की भूमि पर अतिक्रमण कर लिया गया है। ग्रामीण शिकायत करते हैं लेकिन राजस्व कर्मी और अतिक्रमणकारियों के तालमेल से मामला ठंडा पड़ जाता है।

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सीन 3 : बनकट, मोढ़ और मूसीलाटपुर में सैकड़ों बीघे जंगल की भूमि पर अतिक्रमण कर गांव के लोग खेती कर रहे हैं तो भवन भी बनाए हुए हैं। जंगल की भूमि को अभी तक खाली नहीं कराया जा सका है। मामला उच्चाधिकारियों के संज्ञान में होने के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है।

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राजस्व विभाग के अभिलेख में जंगल के नाम पर भूमि दर्ज है लेकिन उसका नियंत्रण राजस्व विभाग का ही होता है। राजस्व विभाग के अधिकारियों को चाहिए कि वह जंगल की भूमि को वन विभाग को उपलब्ध कराएं। जहां पर अतिक्रमण है वहां से मुक्त कराएं। मुक्त कराकर वन विभाग को सौंपे। इसके पश्चात विभाग पौधरोपण करेगा।

-आलोक सक्सेना, प्रभागीय वनाधिकारी, भदोही

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जंगल की भूमि पर अतिक्रमण होने का मामला संज्ञान में नहीं है। यदि इस तरह का मामला है तो संबंधित उप जिलाधिकारियों को टीम मनाकर जंगल की भूमि को खाली कराने को कहा जाएगा। जंगल की भूमि खाली होने पर पौधरोपण कराया जा सकता है।

-राजेंद्र प्रसाद, जिलाधिकारी


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