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पशु टीकाकरण कार्य में न बरतें लापरवाही

मवेशियों को संक्रामक बीमारी खुरपका-मुंहपका से बचाने के लिए टीकाकरण अभियान का शुभारंभ शनिवार को किया गया। जिलाधिकारी राजेंद्र प्रसाद ने पशु पालन विभाग से अभियान में लगी टीमों व बहुद्देशीय सचल पशु चिकित्सा सेवा के वाहनों को हरी झंडी दिखाकर शुभारंभ किया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Sep 2018 08:41 PM (IST)Updated: Sat, 15 Sep 2018 08:41 PM (IST)
पशु टीकाकरण कार्य में न बरतें लापरवाही
पशु टीकाकरण कार्य में न बरतें लापरवाही

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : मवेशियों को संक्रामक बीमारी खुरपका-मुंहपका से बचाने के लिए टीकाकरण अभियान का शुभारंभ शनिवार को किया गया। जिलाधिकारी राजेंद्र प्रसाद ने पशु पालन विभाग से अभियान में लगी टीमों व बहुद्देशीय सचल पशु चिकित्सा सेवा के वाहनों को हरी झंडी दिखाकर शुभारंभ किया। उन्होंने टीम के चिकित्सक व सदस्यों को दायित्व का ईमानदारी के साथ निर्वहन करने की हिदायत दी तो पशुपालकों से अपने प्रत्येक पशुओं का टीकाकरण कराने पर जोर दिया। कहा कि अभियान में किसी भी स्तर से कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए।

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जिलाधिकारी ने कहा कि विशेषकर बारिश के मौसम में पशुओं में होने वाली खुरपका व मुंहपका की बीमारी अत्यंत घातक होती है। इससे पशुपालकों की परेशानी तो बढ़ती ही है। समय से इलाज नहीं मिला तो पशुओं की होने वाली मौत से उन्हें पशुधन का हानि भी होती है। जबकि टीकाकरण कराकर पशुओं को इन संक्रामक बीमारियों से सुरक्षित रखा जा सकता है। बताया कि 15 सितंबर से शुरू अभियान 30 अक्टूबर तक चलेगा। इस दौरान टीमें डोर-टू-डोर जाकर टीकाकरण का कार्य करेंगी। पशुपालकों से अपील किया कि टीम का सहयोग कर अपने पशुओं की टीकाकरण अवश्य कराएं। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा. आरबी मौर्य ने बताया कि अभियान के संचालन के लिए जिले में कुल 21 टीमों का गठन किया गया है। साथ ही कुल तीन लाख 37 हजार पशुओं के टीकाकरण का लक्ष्य तय किया गया है। इस मौके पर मुख्य विकास अधिकारी हरिशंकर ¨सह, प्रभारी चिकित्साधिकारी ज्ञानपुर जेडी ¨सह सहित अन्य चिकित्सक, कर्मचारी व पशुपालक थे।

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क्यों होता है खुरपका व मुंहपका

- दरअसल, बारिश के समय में उगने वाली नई-नई नुकसानदेह घासों के चरने के साथ जगह-जगह गड्ढों आदि में जमे गंदे पानी के पीने से मवेशियों में संक्रामक बीमारी खुरपका व मुंहपका की समस्या बढ़ जाती है। डा. जेडी ¨सह ने बताया इससे प्रभावित पशुओं को तेज बुखार आने लगता है। मुंह में छाले पड़ जाते हैं। मुंह से लार गिरने लगता है। खुरों में घाव व सड़न आ जाती है। पशु चारा खाना बंद कर देते हैं। इससे वह कमजोर हो जाते है तो दुग्ध उत्पादन भी प्रभावित होता है।

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कौन से पशुओं का नहीं होगा टीकाकरण

- पशुपालन विभाग द्वारा चलाए जाने वाले अभियान के दौरान चार माह से छोटे (बच्चों) व आठ माह से गर्भस्थ पशु का टीकाकरण नहीं किया जाएगा। इसके अलावां प्रत्येक पशु का टीकाकरण कराया जा सकता है। टीकाकरण से पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है।


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