मच्छरों के आतंक ने उड़ाई लोगों की नींद
मच्छरों के बढ़े आतंक के चलते मलेरिया डेंगू जैसी संक्रामक बीमारियों से लोग ग्रसित हो रहे हैं। अस्पतालों में पीड़ितों की कतार लग रही है लेकिन ग्रामीण अंचलों में स्वच्छता और कीटनाशक दवाओं के छिड़काव के लिए गठित ग्रामीण स्वास्थ्य समिति महज कागजों में सिमटती दिख रही हैं।
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : मच्छरों के बढ़े आतंक के चलते मलेरिया, डेंगू जैसी संक्रामक बीमारियों से लोग ग्रसित हो रहे हैं। अस्पतालों में पीड़ितों की कतार लग रही है। ग्रामीण अंचलों में स्वच्छता और कीटनाशक दवाओं के छिड़काव के लिए गठित ग्रामीण स्वास्थ्य समिति महज कागजों में सिमटती दिख रही हैं। आलम यह है कि दवाओं छिड़काव व फागिग न कराए जाने से ग्रामीण क्षेत्रों में मच्छरों ने हड़कंप मचा रखा है। मच्छरों के काटने से लोगों की नींद उड़ चुकी है। लेकिन जिला प्रशासन व संबंधित महकमे की नींद टूटते नहीं दिख रही है।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिले के प्रत्येक गांव में ग्रामीण स्वास्थ्य समिति का गठन किया जाता है। ग्रामीण अंचलों में कीटनाशक दवा जैसे ब्लीचिग पाउडर, एल्फास आदि के छिड़काव, क्लोरिन की गोली, फागिग आदि के लिए प्रत्येक वर्ष दो बार दो अलग-अलग मदों में दस-दस हजार कुल 20 हजार रुपये ग्राम पंचायतों के खाते में भेजे जाते हैं। यह बजट ग्राम प्रधान और स्वास्थ्य विभाग की ओर से गांव में तैनात आशा के संयुक्त हस्ताक्षर से आहिरत कराया जाता है। इसके बाद भी स्थिति यह है कि कहीं भी दवाओं का छिड़काव व फागिग होते नहीं दिख रहा है। वैसे जानकार बता रहे हैं कि जिन पंचायतों में ग्राम प्रधान और आशा का तालमेल ठीक चला वहां तो धन आहरित कर प्राय: कागजों पर ही दवाओं का छिड़काव करा दिया जाता है जबकि बिना तालमेल वाली पंचायतों का बजट जस का तस पड़ा रह जाता है। वैसे इस संबंध में जिला मलेरिया अधिकारी रामआसरे का कहना रहा कि ग्राम पंचायतों की जिम्मेदारी होती है कि फागिग कराएं। जहां कहीं मलेरिया, डेंगू आदि के फैलने की शिकायत मिलती है वहीं विभाग की ओर से दवाओं का छिड़काव आदि कराया जाता है।