सब्जियों की करें निगरानी, कीट रोगों से बचाएं
लगातार बढ़ती गर्मी व तेज धूप के इस दौर में सब्जियों के फसल की देखभाल में बेहद सावधानी की जरूरत है। देखभाल में सावधानी से फसल सुरक्षित रहेगी तो उत्पादन बेहतर मिलेगा। विशेषकर यदि सब्जी फसल में कीट लग रहे हों तो कीटनाशक दवाओं का छिड़काव अवश्य करें।
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : लगातार बढ़ती गर्मी व तेज धूप के इस दौर में सब्जियों के फसल की देखभाल में बेहद सावधानी की जरूरत है। देखभाल में सावधानी से फसल सुरक्षित रहेगी तो उत्पादन बेहतर मिलेगा। विशेषकर यदि सब्जी फसल में कीट लग रहे हों तो कीटनाशक दवाओं का छिड़काव अवश्य करें।
कृषि विज्ञान केंद्र बेजवां के कृषि वैज्ञानिक डॉ. मनोज पांडेय ने बताया कि गर्मी में अधिकतर किसान कद्दूवर्गीय सब्जियों तोरई, कद्दू, खीरा, लौकी, करेला, खरबूज, तरबूज आदि की खेती करते हैं। बताया कि इस समय लगने वाले फल मक्खी कीट फलों को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे फल में दाग एवं सड़न की समस्या आती है। इसके नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल दवा 10 मिलीलीटर 15 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना लाभकारी होगा। इसी तरह रस चूषक कीट के जैविक नियंत्रण के लिए पीला चिपचिपा पाश 20 से 25 प्रति एकड़ की दर लगाएं। घर पर पीला चिपचिपा पाश तैयार करने के लिए टीन कनस्तर के डिब्बों को 4 भाग में काट लें एवं प्रत्येक भाग पर पीला पेंट से पुताई कर लें। सूखने के उपरांत उसमें ग्रीस लगाकर खेतों में जगह-जगह टांग दें। पांच दिन के अंतराल पर ग्रीस लगाते रहें। तना गलन रोग से बचाव के लिए कापर आक्सीक्लोराइड तीन ग्राम दवा प्रति लीटर पानी की दर से घोल तैयार कर जड़ों के पास प्रयोग करें। फल बेधक कीट से बचाव को जैविक विधि में नीम का तेल चार मिलीलीटर दवा प्रति लीटर पानी में डिटर्जेंट पाउडर के साथ घोल तैयार कर छिड़काव करते रहें। रसायनिक नियंत्रण में इंडोक्साकार्ब 14.5 प्रतिशत की 0.5 मिलीलीटर दवा प्रति ली पानी के दर से घोल तैयार कर छिड़काव करें।